चीन की सम्प्रभुता को ‘नुकसान’ पहुंचाने के खिलाफ शी ने दी चेतावनी

Webdunia
शुक्रवार, 1 जुलाई 2016 (20:19 IST)
बीजिंग। राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने आज अन्य देशों को चीन की सम्प्रभुता को ‘नुकसान’ पहुंचाने के खिलाफ चेतावनी दी है। गौरतलब है कि राष्ट्रपति ने यह बात उस वक्त कही है जब, दक्षिण चीन सागर विवाद के मुद्दे को लेकर फिलीपीन की याचिका पर सुनवायी कर रहे संयुक्त राष्ट्र अधिकरण की ओर से विपक्ष में फैसला सुनाए जाने की आशंका के मद्देनजर बीजिंग उसके प्रभावों से निपटने तैयारियों में जुटा हुआ है।
माओ-त्से-तुंग के बाद सबसे शक्तिशाली नेता माने जाने वाले शी ने कहा, ‘किसी भी देश को हमसे यह आशा नहीं करनी चाहिए कि हम अपनी राष्ट्रीय सम्प्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों को नुकसान पहुंचाने वाली कड़वी गोली को निगल लेंगे।’ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य 95वीं वषर्गांठ मनाने के लिए जमा हुए थे। उसी दौरान राष्ट्रपति शी ने तालियों के गूंज के बीच उपरोक्त बात कही।
 
अपने पूर्ववर्ती हू जिन्ताओ के विपरीत शी ने 2013 में अपने 10 साल के कार्यकाल की शुरूआत कम्युनिस्ट पार्टी और सेना के प्रमुख के रूप में किया। उसके बाद राष्ट्रपति पद ने उन्हें इस एकदलीय राष्ट्र का सबसे मजबूत नेता बना दिया।
 
अशांत दक्षिण चीन सागर में अमेरिका के आक्रामक रवैये का हवाला देते हुए, शी ने ‘ग्रेट हॉफ ऑफ पीपुल’ में आयोजित भव्य समारोह में कहा कि ‘हमें संकटों का डर नहीं है।’उन्होंने देश की शक्तिशाली सेना और वैश्विक मामलों में चीन की विस्तृत भूमिका पर जोर दिया।
 
एशिया नीति में अमेरिका की मुख्य भूमिका पर चुटकी लेते हुए 63 वर्षीय शी ने कहा, ‘अपनी ताकत दिखाने के लिए हम दूसरों के दरवाजों तक नहीं जाएंगे। वह हमारी ताकत नहीं दिखाता है और न ही किसी को डराता है।’ अमेरिका की एशिया नीति के तहत पेंटागन की 60 प्रतिशत से ज्यादा सैन्य संपत्ति को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तैनात किया जाना है, ताकि चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति का मुकाबला किया जा सके।
 
गौरतलब है कि राष्ट्रपति शी की यह टिप्पणी ऐसे वक्त में आई है, जब दक्षिण चीन सागर के द्वीपों और रीफ पर चीन के दावों के खिलाफ फिलीपीन की याचिका पर सुनवायी कर रहा संयुक्त राष्ट्र कंवेंशन ऑन लॉ ऑफ सीज (यूएनसीएलओएस) 12 जुलाई को अपना फैसला सुनाने वाला है।
 
चीन ने इस अधिकरण का बहिष्कार किया है और घोषणा की है कि वह फैसले को स्वीकार नहीं करेगा। उसने अधिकरण की वैधता पर भी सवाल खड़ा किया है, इसबीच अधिकारियों ने कहा कि फैसला बीजिंग के खिलाफ सुनाए जाने की आशंका है। फिलीपीन, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान दक्षिण चीन सागर में स्थित द्वीपों और रीफ पर चीन के सम्प्रभु अधिकारों को चुनौती दे रहे हैं। (भाषा) 
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