ईरान की अंतरराष्ट्रीय न्यायालय से अमेरिकी प्रतिबंध खत्म करने की गुहार

Webdunia
सोमवार, 27 अगस्त 2018 (21:37 IST)
हेग। ईरान ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (सीआईजे) से अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की ओर से तेहरान के खिलाफ लगाए गए प्रतिबंधों को खत्म करने का आदेश देने का आग्रह किया। इस बीच अमेरिका ने कहा है कि ईरान ने सीआईजे का दरवाजा खटखटाकर अमेरिकी संप्रभुता का उल्लंघन किया है। वह न्यायालय में तेहरान के खिलाफ मजबूती से अपना पक्ष रखेगा।
 
 
मामले की सुनवाई कर रहे सीआईजे के न्यायाधीश ने सुनवाई शुरू होने से पहले अमेरिका से न्यायालय के फैसले का सम्मान करने की बात कही। कई दशकों से एक-दूसरे के बीच वैमनस्य की भावना रखने वाले दोनों देशों ने पूर्व में सीआईजे के कई फैसलों का निरादर किया है।
 
ईरान ने न्यायालय में दायर अपनी याचिका में कहा है कि अमेरिकी प्रशासन द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से पहले से ही आर्थिक रूप से खस्ताहाल तेहरान की हालत और खराब हो रही है और यह प्रतिबंध 2 देशों के बीच मैत्री सहयोग का उल्लंघन है।
 
ईरान का पक्ष रखते हुए मोहसिन मोहेबी ने कहा कि अमेरिका, ईरान की आर्थिक स्थिति और उसकी कंपनियों को भरसक नुकसान पहुंचाने की कोशिश के उद्देश्य से अपनी नीति को सार्वजनिक रूप से प्रचारित कर रहा है। सच्चाई यह है कि अमेरिका का यह कदम ईरानी नागरिकों के खिलाफ है।
 
उन्होंने कहा कि ईरान ने दोनों देशों के बीच विवादों के राजनयिक हल की पेशकश की थी लेकिन उसे ठुकरा दिया गया। इस मामले में अमेरिकी विदेश विभाग के सलाहकार जेनिफर न्यूजटेड के नेतृत्व में पहुंचे वकील मंगलवार को अपना पक्ष रखेंगे। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (सीआईजे) 4 दिनों तक अमेरिका के विरुद्ध ईरान की शिकायत की सुनवाई करेगा।
 
ईरान ने 8 मई को अमेरिका द्वारा परमाणु समझौते से एकपक्षीय रूप से निकलने के बाद सीआईजे में शिकायत दर्ज की थी। तेहरान ने अपनी याचिका में कहा है कि अमेरिका के परमाणु समझौते से निकलने के बाद प्रतिबंधों को दोबारा लागू करना ईरान-अमेरिकी मैत्री समझौते का उल्लंघन भी है।
 
ईरान ने दोनों देशों के बीच 1955 में हुए मैत्री सहयोग का हवाला देते हुए सीआईजे में अमेरिका के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। इस समझौते में दोनों देशों में सहमति बनी थी कि वे ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाएंगे जिससे कि दोनों देशों के सरकारी अथवा निजी व्यापारिक और आर्थिक हितों को नुकसान पहुंचे। दोनों देशों में इस बात पर भी सहमति बनी थी कि यदि दोनों पक्ष कूटनयिक माध्यम से मतभेदों को दूर नहीं कर पाएंगे, तो मामले को सीआईजे में ले जाया जाएगा।
 
ईरान के विदेश मंत्री मुहम्मद जवाद जरीफ ने हाल में कहा था कि सीआईजे में अमेरिका के खिलाफ दायर मामले में उसका पक्ष मजबूत है। भले ही अमेरिका ने परमाणु समझौते से निकलने के बाद दोबारा वार्ता की पेशकश की है लेकिन अमेरिकी सरकार द्वारा इससे पहले भी समझौतों का उल्लंघन किया जा चुका है। जरीफ ने यह भी कहा था कि तेहरान ने वर्ष 1955 के समझौते का पूरा सम्मान किया है जबकि अमेरिका ने कई बार उसका उल्लंघन किया है। (वार्ता)

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