Is There God: वो खगोलशास्‍त्री जिसने ईश्‍वर की सत्‍ता को नकारा और कहा, ‘न कोई ईश्‍वर है और न ही कोई किस्‍मत लिखने वाला’

नवीन रांगियाल
दुनिया की बड़ी आबादी ईश्‍वर के अस्‍त‍ित्‍व में विश्‍वास करती है। भारत में तो आस्‍था ही जीवन का आधार है। हालांकि ईश्‍वर में भरोसा करना या नहीं करना यह ए‍क निजी मत है, और इसके लिए सभी को आजादी है। वहीं, साइंस के अपने तर्क हैं।

लेकिन दुनिया के सबसे बड़े खगोलशास्‍त्री स्टीफन हॉकिंग की आखि‍री किताब में उन्‍होंने जो लिखा है, उससे लंबे समय तक बहस चलती रही है। आज भी यह आस्‍त‍िकों और नास्‍तिकों के बीच यह बहस का विषय है।

भगवान कहीं नहीं है। यह दुनिया किसी ने नहीं बनाई है। यहां तक कि‍ कोई हमारी किस्मत नहीं लिखता है।

खुद को नास्‍तिक कहने वाले स्टीफन हॉकिंग ने अपनी आखिरी किताब में यही लिखा है। दिलचस्‍प है कि हॉकिंग की इस किताब में कई यूनिवर्स के बनने, एलियन इंटेलिजेंस, स्पेस कोलोनाइजेशन और आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस जैसे कई जरूरी सवालों के जवाब दिए गए हैं।

लेकिन सबसे ज्‍यादा चौंकाने वाली बात जो उन्‍होंने कही थी, वो यह थी कि ईश्‍वर का कोई अस्तित्व नहीं है, न ही कोई ऐसी शक्‍ति है जो हमारी किस्‍मत लिखती है। अपनी किताब में लिखे इस विचार के बाद दुनियाभर में इसे लेकर तर्क और भाव के अनुयायियों के बीच बहस चल रही है।

हालांकि उनकी किताब में कई बड़े सवालों के जवाब हैं। उन्‍होंने लिखा है, ‘सदियों से यह माना जाता रहा है कि मेरे जैसे दिव्‍यांग या डि‍सेबल लोग शापित हैं, उन पर भगवान का श्राप होता है। लेकिन मेरा मानना है कि मैं कुछ लोगों को निराश करूंगा, मैं यह सोचना ज्यादा पसंद करूंगा कि हर चीज की व्याख्या दूसरे तरीके से की जा सकती है’

स्‍टीफन हॉकिंग की इस किताब का नाम है Is There God? इस नाम से ही पता चल जाता है कि हॉकिंग ईश्‍वर को लेकर सवाल कर रहे हैं। इसके लिए उनके अपने तर्क हैं।

उन्‍होंने आगे चलकर यहां तक दावा किया है कि
मेरी भविष्यवाणी है कि हम इस सेंचुरी के खत्म होते-होते भगवान के दिमाग को समझने लगेंगे। मेरा मानना है कि भगवान नहीं है। किसी ने यूनिवर्स नहीं बनाया। न ही कोई हमारी किस्मत चलाता है।

बता दें कि स्‍टीफन हॉकिंग ने जीवनभर खगोल विज्ञान को लेकर रिसर्च की। उन्‍होंने कई खुलासे किए और थ्‍योरीज दी। लेकिन 80 के दशक तक उन्‍होंन साफतौर पर ये कहना शुरू कर दिया कि भगवान का कोई अस्तित्व नहीं होता।

नो हेल, नो हेवन
इतना ही नहीं, वे इससे भी आगे जाकर अपनी बात कहते हैं, उन्‍होंने इस किताब में लिखा है कि मुझे इस बात का पूरा अहसास है कि न तो कोई स्वर्ग है और न ही मरने के बाद कोई जीवन है।

मरने के बाद जीवन के होने की बात सोचना सिर्फ दिल बहलाने की बात है, खुद को खुश रखने का ख्‍याल और एक तरीका भर है।

वे कहते हैं कि ऐसा सोचने के लिए कोई विश्‍वसनीय प्रमाण या सबूत नहीं है। स्टीफन हॉकिंग ऐसे वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने आधुनिक दुनिया में ईश्वर की सत्ता को नकार दिया। अल्बर्ट आइंस्टीन के बाद स्टीफन हॉकिंग ही वो वैज्ञानिक है, जो दुनियाभर में जाने जाते हैं।

21 साल की उम्र में उन्हें मोटर न्यूरॉन नाम की बीमारी हुई। ऐसा लग रहा था कि वे अपनी पीएचडी नहीं पूरी कर पाएंगे, लेकिन सभी अनुमानों को धकेलकर उन्‍होंने जिंदगी को पूरा जिया और 76 सालों तक जीवित रहे। वह भी तब जब एक एक क्षण जीना एक संघर्ष हो।

उन्होंने अंतरिक्ष को लेकर कई अहम थ्योरीज दीं और हमारी धारणाओं को तोड़ा। एक नया विचार दिया, एक नई दृष्‍टि‍ दी।

हॉकिंग को अमेरिका का सबसे उच्च नागरिक सम्मान दिया जा चुका है। 1974 में ब्लैक होल्स पर असाधारण रिसर्च करके उसकी थ्योरी मोड़ देने वाले स्टीफन हॉकिंग साइंस की दुनिया के सेलिब्रिटी माने जाते हैं। स्टीफन हॉकिंग ने द ग्रैंड डिजाइन, यूनिवर्स इन नटशेल, माई ब्रीफ हिस्ट्री, द थ्योरी ऑफ एवरीथिंग जैसी कई महत्वपूर्ण किताबें लिखी हैं।

स्टीफन हॉकिंग ने दुनिया को चेतावनी दी थी कि गॉड पार्टिकल में पूरी दुनिया को तबाह करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि जिस 'गॉड पार्टिकल्स' ने सृष्टि को स्वरूप और आकार दिया है, उसमें पूरी दुनिया को खत्म करने की भी क्षमता है।

14 मार्च, 2018 को स्टीफन हॉकिंग का निधन हो गया। वो ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड में 8 जनवरी, 1942 को जन्मे थे। उनके पिता एक चिकित्सा विज्ञानी थे, जबकि मां दर्शनशास्त्र की स्नातक। स्टीफन हॉकिंग ने लंदन के पास स्थित संत अलबांस स्कूल में शुरुआती पढ़ाई की। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से भौतिकी में प्रथम श्रेणी की डिग्री हासिल की। उनके शोध की शुरुआत 1962 से हुई। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में एक स्नातक के तौर पर उनका नामांकन हुआ।

उन्होंने भगवान के अस्तित्व पर सवाल उठाए, बावजूद इसके दुनिया ने कभी हाकिंग के दावों को नकारा नहीं। उनकी लगभग सारी किताबें बेस्‍टसेलर हैं। वो विज्ञान की दुनिया का एक पूरा दस्‍तावेज, एक युग ही माने जाते हैं।

अंत में दुनिया से वे यही चाहते थे कि लोग उन्हें उनके काम की वजह से याद रखे, किसी दूसरी वजह से नहीं।

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