विधर्मी महिलाओं से बलात्कार जायज..!

Webdunia
कादिया (इराक)। आतंकवादी संगठन आईएस (इस्लामिक स्टेट) ने हत्याओं, बलात्कार, प्रताड़ना और अन्य बर्बर कामों का सहारा लिया और इन कामों को इस्लाम सम्मत बताने के भी तर्क दिए हैं।
संगठन का कहना है कि किसी विधर्मी महिला से बलात्कार करना इस्लाम का अभिन्न अंग है। एक बारह वर्षीय यजीदी किशोरी ने जब एक बलात्कारी से पूछा कि क्या यह इस्लाम में जायज है, तो उससे बलात्कार करने वाले का जवाब था कि उसके साथ बलात्कार कर वह कुछ भी गलत नहीं कर रहा है क्योंकि वह इस्लाम का पालन नहीं करती है।
 
डेलीमेल में छपी एक खबर के मुताबिक धर्मांध आईएस आतंकियों का दावा है कि कुरान में कहा गया है कि 'किसी विधर्मी महिला से बलात्कार करना जायज और माफी योग्य' है। इन आतंकियों ने पिछले वर्ष पांच हजार से ज्यादा अल्पसंख्‍यक लड़कियों, महिलाओं का अपहरण कर लिया था और बहुत सी लड़कियों को उन्होंने सेक्स गुलाम के तौर पर बेच दिया था।
 
इन आतंकियों की कैद में 11 माह बिताने वाली 12 वर्ष की लड़की ने न्यूयॉर्क टाइम्स की पत्रकार को बताया, 'मैंने उनसे कहा कि आप मुझे बख्‍श दो। तब आतंकी का कहना था कि इस्लाम के मुताबिक वह विधर्मी से रेप कर सकता है। मैं तेरा रेप करके खुदा के करीब जा रहा हूं।' 
 
इसी तरह आईएस की कैद में नौ महीने का समय बिताने वाली एक 15 वर्षीय किशोरी का कहना है, 'जब भी वह मेरा रेप करने आता था तो कहता था कि यह अल्लाह की बंदगी है। जब लड़की ने बलात्कारी से कहा कि वह गलत कर रहा है और इससे वह खुदा के करीब नहीं पहुंच सकता है तो उसका कहना था कि हमें इसकी अनुमति है, यह सब हलाल है। आईएस की इस यौन गुलाम बनाने की व्यवस्था में खरीदी-बिक्री का अनुबंध होता है और इसे न्यायालयों का भी संरक्षण हासिल है।
इसलिए पाप नहीं है रेप... पढ़ें अगले पेज पर....
 
 

न्यूयॉर्क टाइम्स में रुकमणी कैलीमाछी की रिपोर्ट में कहा गया है कि आईएस के कट्‍टरपं‍थियों ने बलात्कार को अपने धार्मिक सिद्धांतों का प्रमुख हिस्सा बना लिया है। उनका दावा है कि कुरान में भी इस बात का समर्थन किया गया है और इसके चलते इस्लामिक स्टेट ने इराक और सीरिया के जीते हिस्सों में यौन दासता (सेक्स स्लेवरी) को लेकर कानून बनाए हैं। इसका इस्तेमाल संगठन नए लोगों को संगठन में भर्ती के लिए आकर्षित करने के लिए करता है। 
 
इसे धर्मसम्मत बताने के लिए एक बारह वर्षीय लड़की से बलात्कार करने से पहले आईएस के एक लड़ाके ने उसे बताया कि वह जो कुछ भी करने जा रहा है, वह पाप नहीं है क्योंकि लड़की जिस धर्म का पालन करती है, वह इस्लाम से अलग है। इस कारण से कुरान न केवल उसे बलात्कार करने का अधिकार देती है वरन इसे माफ करती है और ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित भी करती है। इसके बाद उसने लड़की के हाथ बांध दिए और मुंह को बांध दिया।
 
इसके बाद वह बिस्तर के पास अपनी इबादत करने लगा और जब उसकी इबादत पूरी हो गई तो उसने लड़की के साथ वहशियों सी हरकत की। वह जब भी रेप करता उससे पहले पूरे श्रद्धाभाव से ईश्वर को याद करता था। यजीदी धार्मिक अल्पसंख्यकों की लड़कियों और महिलाओं को बलात्कार का शिकार बनाने के लिए आईएस ने एक योजनाबद्ध तरीके से व्यवस्था की। आईएस के कट्टरपंथी धर्मशास्त्र ने थोड़े ही समय में यौन दास प्रथा को फिर से जीवित कर दिया।
 
न्यूयॉर्क टाइम्स की पत्रकार ने इस्लामिक स्टेट के चंगुल से छूटी 21 लड़कियों, महिलाओं से पूछा और संगठन के आधिकारिक सूचनाओं, संदेशों की जानकारी हासिल की तब पता चला कि इस प्रथा को संगठन के सबसे अहम सिद्धांतों में रखा गया है। इतना ही नहीं, इस कुप्रथा ने संगठन में बहुत गहरी जड़ें जमा ली हैं।
सेक्स गुलामों के लिए काम करती हैं इस्लामिक कोर्ट्‍स... पढ़ें अगले पेज पर...
 

यजीदी महिलाओं और लड़कियों की खरीदी-बिक्री ने बुनियादी सुविधाओं का एक स्थायी ढांचा खड़ा कर दिया है। इसके तहत गोदामों का नेटवर्क बनाया गया जहां कैद की गई लड़कियों, महिलाओं को रखा जाता है। व्यूइंग रूम्स जहां इन लड़कियों को देखा जाता है और खरीदी बिक्री होती है। इसके साथ ही, इन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाने-ले जाने के लिए बसों का एक बेड़ा मौजूद रहता है।
 
पिछले वर्ष कुल 5270 यजीदियों का अपहरण किया गया था और इनमें से 3144 यजीदी आतंकी संगठन के कब्जे में हैं। इन लोगों को संभालने के लिए आईएस ने यौन दासता को क्रियान्वित करने के लिए एक विस्तृत नौकरशाही को बैठाया है। गुलामों की खरीदी-ब्रिकी के अनुबंधों के लिए इस्लामी कोर्ट्‍स काम करती हैं। इसके साथ ही, यह प्रथा अत्यधिक कट्‍टरपंथी मुस्लिम समुदायों के लोगों को संगठन में शामिल होने के लिए लालच का काम करती है। विदित हो कि मुस्लिमों के परंपरागत कट्‍टरपंथी समाजों में आकस्मिक सेक्स वर्जित है और डेटिंग पर पाबंदी रहती है।
 
पिछले माह इस्लामिक रिसर्च और फतवा विभाग ने संगठन की आंतरिक नीतियों और धार्मिक विचार विमर्श के बाद दासता को लेकर स्थापित मान्यताओं और 'हाउ टू' को लेकर बातें तय कीं। संगठन के नेतृत्व ने पहली बार विस्तृत 'हाउ टू डू' मैनुअल जारी किए गए। संगठन के नेतृत्व ने कुरान की मनमानी, संकीर्ण व्याख्या करने के साथ-साथ हिंसा को भी उचित ठहराया। एक पंद्रह साल की किशोरी (एफ, कृत्रिम नाम) का कहना था कि जब भी वह मेरे साथ बलात्कार करने आता तो प्रार्थना करता। यह लोग यह भी मानते हैं कि बलात्कार आध्यात्मिक तौर पर लाभदायी है और यह लोगों को सद्‍गुणी बनाता है। 
 
एक योजनाबद्ध तरीके से यौन दासता को लागू करने की औपचारिक पहल 3 अगस्त, 2014 को ही सामने आ गई थी जब सिंजर पहाड़ी के दक्षिणी हिस्से पर आईएस के लड़ाकों ने गांवों पर हमला किया था। इस इलाके में यजीदी रहते हैं जो कि इराक की अनुमानित जनसंख्या तीन करोड़ चालीस लाख का मात्र डेढ़ फीसदी हैं। इराक के दूसरे बड़े शहर मोसुल के आईएस के हाथों में आने के दो माह बाद समझा जा रहा था कि आईएस के लोग अपनी सीमा को बढ़ाने के लिए इस इलाके पर हमला करेंगे, लेकिन इस बार उनका इरादा कुछ और ही था। 
पहले अपहरण, फिर... पढ़ें रोंगटे खड़े कर देने वाली कहानी....
 

आईएस के हमले में बचे लोगों का कहना है कि इलाके पर कब्जा होने के एक घंटे बाद ही महिलाओं और पुरुषों को अलग-अलग कर दिया गया था। किशोर बच्चों से कहा गया कि वे अपनी शर्ट्‍स को उंचा उठाएं और जिन बच्चों की कांख में बाल पाए गए, उन्हें उनके बड़े भाइयों, पिताओं के साथ भेज दिया गया। गांव दर गांव ऐसा किया गया और पुरुषों, बड़े लड़कों को एकत्र पर गांव के बाहर ले जाया गया जहां उनसे जमीन पर लेट जाने को कहा जाता। उनके लेट जाने के बाद आईएस के राइफलधारी उन्हें गोलियों से भून देते।
 
पर महिलाओं, लड़कियों और बच्चों को ट्रकों में भरकर दूर ले जाया जाता। यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में यजीदी अल्पसंख्यकों के विशेषज्ञ मैथ्‍यू बार्बर का कहना है कि पहाड़ी पर किया गया यह हमला जितना भूभाग का लाभ था और इसी के साथ यह इस समुदाय पर यौन विजय भी थी।
 
पिछली गर्मियों में जब यह हमला हुआ था तब वे माउंट सिंजर के पास दोहुक में थे और उन्होंने एक ऐसा फाउंडेशन बनाया जो ‍कि पीड़ित लोगों को मनोवैज्ञानिक सहारा देता है। ऐसे लोगों की संख्या दो हजार से अधिक है।   
 
पंद्रह वर्षीय एफ (नाम का पहला अक्षर) का कहना है कि उसका नौ लोगों का परिवार भागने की तैयारी में था, लेकिन उनकी पुरानी गाड़ी ओपेल ज्यादा गर्म हो गई और स्टार्ट नहीं हुई। वह, उसकी मां, और तीन बहनें जो कि क्रमश: 14, 7 और 4 वर्ष की थीं और कार के पास असहाय खड़ी थीं।
 
तभी आईएस के लड़ाकों के एक दल ने उन्हें घेर लिया। तुरंत ही लड़ाकों ने पुरुषों को महिलाओं से अलग कर दिया। सबसे पहले उसे, उसकी मां और बहनों को ट्रक में माउंट सिंजर पर समीपवर्ती कस्बे में ले जाया गया। 'इसके उन लोगों ने उसको मां से अलग कर दिया। युवा अविवाहित लड़कियों को बसों में बैठाया गया था।'
बसों पर लिखा था हज, मगर अंदर.... पढ़ें अगले पेज पर...
 

सफेद रंग की इन बसों पर 'हज' लिखा था। इससे यह अर्थ निकलता है कि आईएस के आतंकियों ने इराकी सरकार की उन बसों को अपने कब्जे में ले लिया था जो कि वार्षिक तीर्थयात्रा के दौरान मक्का ले जाई जाती थीं। एक बस में इतनी अधिक यजीदी लड़कियों, महिलाओं को ठूंस दिया गया था कि वे एक दूसरी की गोदी में बैठने को मजबूर थीं।
 
जब बसें चलना शुरू हुईं तो उन्होंने गौर किया कि बसों की खिड़कियों पर पर्दे डाल दिए गए थे। इस तरह का विवरण अन्य महिलाओं, लड़कियों ने भी दिया हालांकि उन्हें अलग दिनों, समय और स्थानों से अगवा किया गया था।
 
एफ का कहना है कि उसे छह घंटे की यात्रा के बाद इराकी शहर मोसुल लाया गया जहां उन्हें गैलेक्सी वेडिंग हॉल में भर दिया गया। महिलाओं, लड़कियों के अन्य गुटों को बादूश प्रिजन कम्पाउंड में रखा गया था जिसे सद्दाम हुसैन के कार्यकाल में बनाया गया था। मोसुल की डायरेक्ट्री ऑफ यूथ बिल्डिंग में भी महिलाओं, लड़कियों को ठहराया गया। मोसुल के अलावा, इराक के अन्य नगरों जैसे ताल अफार, सोलाह, बाज और सिंजर सिटी के स्कूलों, म्युनिसपल इमारतों में भी इन्हें ठहराया गया।
 
इन्हें कभी दिनों तो कभी महीनों तक कैद करके रखा जाता। तभी उन्हें अचानक बसों के काफिलों में भरकर छोटे-छोटे गुटों में सीरिया या इराक के अंदरूनी हिस्सों में भेज दिया जाता था। इन जगहों पर उन्हें सेक्स के लिए खरीदा और बेचा जाता था।
 
एक यजीदी कार्यकर्ता खिदर डोमल का कहना था कि 'इन हमलों का उद्देश्य महिलाओं, लड़कियों को सेक्स कारोबार के लिए इस्तेमाल करना था और यह शत प्रतिशत रूप से पहले से तय था। उन्होंने पीडि़तों के बारे में छोटी-छोटी जानकारी हासिल की और एक डाटाबेस बनाया। ह्यूमन राइट वाच और एम्नेस्टी इंटरनेशनल की विस्तृत रिपोर्टों में कहा गया था कि यह सब धर्म के नाम पर 'सेक्स ट्रेड' को ‍स्वीकार्य बनाने का संगठित तरीका है।   
इस तरह रखा जाता है लूटी हुई लड़कियों का रिकॉर्ड... पढ़ें अगले पेज पर...
 

प्रत्येक स्थान पर आईएस के लोग महिला कैदियों की गिनती करते थे। जब 'एफ' भव्य गैलेक्सी बैंकेट हॉल पहुंची तो वह भवन के संगमरमर के फर्श पर बैठ गई जहां पर करीब 1300 से ज्यादा किशोर लड़कियां थीं। तभी तीन इस्लामिक स्टेट लड़ाके अंदर आते हैं और उनके पास एक ‍रजिस्टर है। वे लड़कियों से खड़े होने को कहते हैं और बोलते हैं कि प्रत्येक लड़की से उसका पहला, मध्य और अंतिम नाम, उम्र, उसका गृह नगर बताने को कहते हैं। वे पूछते हैं कि क्या वह विवाहित है और हां तो उसके कितने बच्चे हैं।   
 
दो महीने तक 'एफ' गैलेक्सी हॉल के अंदर बंद रही। एक दिन वे आए और युवा महिलाओं को ले जाने लगे। जिन महिलाओं ने साथ जाने से इनकार किया उनके बाल पकड़कर बाहर लाया गया। पार्किंग की जगह पर वही हज वाली बसें मौजूद थीं जोकि उन्हें अगले गंतव्य तक ले जाने वाली थीं। एफ का कहना है कि उसके साथ 24 लड़कियां, युवा महिलाएं थीं।
 
पंद्रह वर्षीय एफ को इराक के एक सैन्य शिविर ले जाया गया। यहां के पार्किंग लॉट में उसने पहली बार 'सबाया' नामक शब्द सुना। मौजूद लोग हंस रहे थे और कह रहे थे कि 'तुम हमारी सबाया (गुलाम) हो'। उस समय उसे नहीं पता था कि इस शब्द का क्या अर्थ है? लेकिन बाद में एक स्थानीय आईएस नेता ने बताया कि 'सबाया' का अर्थ गुलाम होता है।
 
ऐसा लगता है कि आईएस का सेक्स ट्रेड पूरी तरह से यजीदी समुदाय की महिलाओं, लड़कियों को गुलाम बनाने के लिए है। जब किसी अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ ऐसा विस्तृत अभियान नहीं चलाया गया। ह्यूमन राइट्‍स वाच की रिपोर्ट लिखने वाले सामेर मस्कटी का कहना है कि इस बात की पुष्टि समुदाय के नेताओं, सरकारी अधिकारियों और अन्य मानव अधिकार कार्यकर्ताओं ने की है। बार्बर का कहना है कि यजीदियों को हमलों का केन्द्र बनाना इस कारण से भी संभावित था क्योंकि उन्हें बहुदेववादी माना जाता है और वे कई देवताओं में विश्वास करते हैं।
 
इसके साथ ही, उनकी पूजा की परम्परा वाचिक है और उनकी कोई लिखित धार्मिक पुस्तक नहीं है। कट्‍टर सुन्नी बहुल आईएस की नजरों में यजीदी ऐसे घृणित काफिर हैं जो कि किसी एक ईश्वर को नहीं मानते हैं। ये इसाई और यहूदियों से भी खराब हैं जिनका कुरान में जिक्र किया गया है।
किसको कितनी लड़कियां मिलती हैं... पढ़ें अगले पेज पर....
 
 
 

माउंट सिंजर के सर्वाधिक दक्षिणी गांव, कोजो, में लोगों ने तय किया कि वे वहीं बने रहेंगे और शायद इस कारण से आईएस के लोग उन्हें मोसुल के ईसाई समझेंगे। लेकिन आईएस के लड़ाकों ने उन्हें भी नहीं बख्‍शा। सिंजर पहाड़ियों पर हमले से महीनों पहले अपनी ऑनलाइन मैगजीन ने स्पष्ट किया था कि यजीदी महिलाओं, लड़कियों को गुलाम बनाने की तैयारी बहुत पहले से थी। 
 
पकड़े जाने के बाद यजीदी महिलाओं और बच्चों का बंटवारा शरिया के अनुसार कर दिया गया। गुलामों का पांचवां भाग आईएस के अधिकारियों को दिया गया। इनका बंटवारा भी ऐसे किया गया जैसे लूट का माल बांटा जाता है। कुरान, बाइबल और अमेरिका में गुलामों के कारोबार का उल्लेख मिलता रहा है। लेकिन आईएस इसे नए सिरे से जीवित करना चाहता है।
 
इस्लाम के आने से पहले के इस धार्मिक समुदाय के हजारों मर्दों को मारा डाला गया और लड़कियों तथा औरतों का अपहरण कर लिया गया जिन्हें बाद में बेचा गया, बलात्कार किया गया और फिर बेचा गया। कुछ यजीदी मर्दों को विकल्प दिया गया या तो इस्लाम कबूल करो या मारे जाओ।  
 
बहुत से लोगों ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। इंटरनेट पर बड़े पैमाने पर हुए धर्मांतरण की तस्वीरें सामने आ रही हैं। उसमें डरे हुए यजीदी इस्लाम के लिए आस्था व्यक्त कर रहे हैं। इनमें से एक कहता है, 'हम अंधेरे में रह रहे थे, अब हम रोशनी में रह रहे हैं।' 
 
यह जिहादियों की आस्था का सच है और यजीदियों की तकलीफ की कहानी दिखाती है कि जो लोग रोशनी में रहते हैं उन्हें जैसे कि सब कुछ करने की छूट है। कुरान की आयतों का वही अर्थ निकाला जा रहा है, जो कि जिहादियों की मनमानी को उचित करार देता हो। यह मनमानी लूट, चोरी, बलात्कार तथा हत्या जैसे अपराध ही क्यों न हों। 

महाराष्ट्र में कौनसी पार्टी असली और कौनसी नकली, भ्रमित हुआ मतदाता

Prajwal Revanna : यौन उत्पीड़न मामले में JDS सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर एक्शन, पार्टी से कर दिए गए सस्पेंड

क्या इस्लाम न मानने वालों पर शरिया कानून लागू होगा, महिला की याचिका पर केंद्र व केरल सरकार को SC का नोटिस

MP कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और MLA विक्रांत भूरिया पर पास्को एक्ट में FIR दर्ज

टूड्रो के सामने लगे खालिस्तान जिंदाबाद के नारे, भारत ने राजदूत को किया तलब

कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को साइड इफेक्ट का कितना डर, डॉ. रमन गंगाखेडकर से जानें आपके हर सवाल का जवाब?

Covishield Vaccine से Blood clotting और Heart attack पर क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स, जानिए कितना है रिस्‍क?

इस्लामाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, नहीं मिला इमरान के पास गोपनीय दस्तावेज होने का कोई सबूत

पुलिस ने स्कूलों को धमकी को बताया फर्जी, कहा जांच में कुछ नहीं मिला

दिल्ली-NCR के कितने स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी, अब तक क्या एक्शन हुआ?