जिन्न का डर दिखाकर भारतीय मुस्लिम युवाओं को मौत के मुंह में धकेलता है IS

Webdunia
सोमवार, 23 नवंबर 2015 (19:43 IST)
दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी संगठन आईएस भारतीय मुस्लिम युवकों को आतंकी गतिविधियों में शामिल कर लेता है। खूफिया खबरों के मुताबिक 23 भारतीय मुस्लिम युवक इस खतरनाक आतंकी संगठन में शामिल होकर हिंसा के रास्ते पर चलकर लोगों को मार रहे हैं। खूफिया रिपोर्ट के अनुसार इनमें से 6 की मौत की मौत हो गई। आईएस में भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के युवाओं के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है। यहां तक जब परेशान को वतन भागने की कोशिश करते हैं तो उन्हें जिन् तक का डर दिखाया जाता है।
आईएस अरब लड़ाकों की तुलना में दक्षिण एशियाई मुस्लिमों को कमतर मानता है। पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश के मुस्लिम युवाओं लड़ाई में कमजोर समझता है। अरब लड़ाकों को अच्छी सुविधाएं दी जाती है, वहीं दक्षिण एशिया के मुस्लिम युवाओं को आईएस के साथ नारकीय जीवन बिताना पड़ता है। इन देशों के अधिकतर आत्मघाती मिशनों पर भेजा जाता है। 
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आईएस सोशल मीडिया के द्वारा इन युवाओं को बरगलाकर अपने आतंकी संगठन में शामिल कर लेता है। इराक के रास्ते इन्हें सीरिया बुलाया जाता है। इनकी ट्रेनिंग के बाद इन युवाओं को आईएस अपने मंसूबे पूरे करने में इस्तेमाल करता है। यहां तक की ये अपने वतन न लौट पाएं, इसके लिए इनके पासपोर्ट जला दिए जाते हैं और उन्हें जिन्न का डर दिखाया जाता है। 
कहा जाता है कि अगर वे अपने देश वापस लौटे तो जिन्न उनका पीछा कर उनका जीना हराम कर देगा। इन मुस्लिम युवकों को कम वेतन दिया जाता है। इतना ही नहीं, अरब लड़ाकों को ऑफिसर कैडर में शामिल किया जाता है, वहीं दक्षिण एशिया के मुस्लिम युवाओं को लड़ाके सैनिक बनाया जाता है। दक्षिण एशिया के मुस्लिम युवा ग्रुप में छोटे बैरकों में बदतर जिंदगी जीने को मजबूर होते हैं। हमले के दौरान भी दक्षिण एशिया के मुस्लिम युवकों को लड़ाई में आगे कर दिया जाता है।  अगले पन्ने पर, फोन नंबर से उड़ाते हैं वाहन...

खुफिया रिपोर्टों के अनुसार कथित कमतर लड़ाकों को कई बार बहला-फुसलाकर आत्मघाती हमले के लिए उकासाया जाता है। आम तौर पर उनको विस्फोटकों से भरा एक वाहन दिया जाता है और एक लक्षित जगह पर जाने के लिए एवं एक खास नंबर पर फोन करने के लिए कहा जाता है ताकि मिशन से जुड़ा हुआ कोई व्यक्ति उनके पास आए और मिशन के बारे में उनको बताए। हालांकि जैसे ही खास नंबर को डायल किया जाता है वैसे ही पहले से तय तंत्र के कारण वाहन में विस्फोट हो जाता है।
 
खुफिया रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशियाई और अफ्रीकी लड़ाकों की तुलनात्मक रूप से अधिक संख्या में मत्यु होती है क्योंकि उन्हें पैदल सैनिक के रूप में लड़ने के लिए मजबूर किया जाता है। दूसरी ओर अरब के लड़ाकों को इनके पीछे तैनात किया जाता है और उनकी मौत तुलनात्मक रूप से कम होती है। चीनी, भारतीय, नाइजीरियाई और पाकिस्तानी मूल के लड़ाकों को एकसाथ रखा जाता है और आईएसआईएस पुलिस उन पर नजर रखती है। ट्यूनीशिया, फलस्तीन, सउदी अरब, इराक और सीरिया मूल के लड़ाकों को ही आईएसआईएस पुलिस में शामिल किया जाता है।
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