इसराइल को बड़ा झटका, संयुक्त राष्ट्र ने अवैध झुग्गियां हटाने को कहा

Webdunia
शनिवार, 24 दिसंबर 2016 (10:08 IST)
संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र ने इस्रराइल से मांग की है कि वह फिलीस्तीनी क्षेत्र से अवैध यहूदी बस्तियां हटाएं। अमेरिका ने इस प्रस्ताव पर वीटो करने से मना कर दिया है।
 
यह दुलर्भतम क्षण था, जब अमेरिका ने अपने वीटो शक्ति का इस्तेमाल नहीं किया और न ही मतदान में हिस्सा लिया। अमेरिका ने 1979 के बाद पहली बार अवैध यहूदी बस्तियों पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को मजबूत करते हुए इसराइल की आलोचना की है।
 
परिषद में उस समय तालियां बजने लगी जब सुरक्षा परिषद के बाकी 15 सदस्यों का समर्थन इस प्रस्ताव को मिल गया।
 
सुरक्षा परिषद के इस प्रस्ताव का विरोध इसराइल के अलावा अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कर रहे थे। ट्रंप ने इस प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया करते हुए ट्विटर लिखा, 'संयुक्त राष्ट्र के लिए, 20 जनवरी के बाद स्थितियां बदल जाएंगी।'
 
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत सामंथा पावर का कहना है कि अवैध यहूदी बस्तियां इस्राइल और फलस्तीन के बीच दो-राष्ट्र समाधान में बाधक बन रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने इन अवैध यहूदी बस्तियों को अवैध करार दिया है और कहा है कि पिछले महीनों में यहां अवैध यहूदी बस्तियों का निर्माण बढ़ा है।
 
पश्चिमी किनारे की अवैध यहूदी बस्तियों में अभी 430,000 और पूर्वी यरूशलम में 200,000 यहूदी रह रहे हैं और फिलीस्तीनी पूर्वी यरूशलम को भविष्य की राजधानी के रूप में देखते हैं। प्रस्ताव में मांग की गई है कि इसराइल तत्काल और पूरी तरह से अधिकृत फिलीस्तीनी क्षेत्र सहित पूर्वीय से अवैध यहूदी बस्तियां निर्माण की गतिविधियों पर रोक लगाए।
 
अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बेन रोड्स ने कहा कि हमारी सबसे गंभीर चिंता है कि अवैध बस्तियों संबंधी गतिविधि की मौजूदा गति में वर्ष 2011 से बहुत तेजी आई है। हमने उस समय बस्तियों की निंदा करने वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव पर वीटो का इस्तेमाल किया था। बस्तियों में आई तेजी से इस द्वि राष्ट्र समाधान पर खतरा पैदा होता है।
 
रोड्स ने अपने निर्णय के बचाव में कहा, 'इसलिए हमने इस संदर्भ में सोचा कि द्वि राष्ट्र समाधान के आधार को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी प्रवृति के बारे में चिंता व्यक्त करने वाले प्रस्ताव को लेकर वीटो इस्तेमाल करना सही नहीं होता।'
 
‘द वाशिंगटन पोस्ट’ ने इस कदम को इसराइल को एक फटकार करार देते हुए कहा कि वीटो इस्तेमाल नहीं करना अवैध यहूदी बस्तियों को लेकर ओबामा प्रशासन की निराशा को दर्शाता है और इसने ट्रंप से पैदा होने वाले दबाव को नकारा। इससे एक दिन पहले, ट्रंप ने एक ट्वीट में अमेरिका से वीटो का इस्तेमाल करने को कहा था।
 
इस निर्णय को लेकर ओबामा को दोनों दलों के नेताओं की आलोचना झेलनी पड़ रही है। सीनेट आम्र्ड सर्विसेज कमेटी के अध्यक्ष एवं सीनेटर जॉन मैकेन, हाउस डेमोक्रेटिक व्हिप स्टेनी एच होयेर एवं हाउस मैजोरिटी लीडर केविन मैकार्थी ने इस फैसले की आलोचना की।
 
इस बीच इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने कहा, 'इसराइल संयुक्त राष्ट्र में इसराइल विरोधी इस शर्मनाक प्रस्ताव को खारिज करता है और इसका पालन नहीं करेगा। ओबामा प्रशासन संयुक्त राष्ट्र में इस जमावड़े से इसराइल की रक्षा करने में न केवल नाकाम रहा बल्कि उसने पर्दे के पीछे इसके साथ साठ गांठ की।' (भाषा) 
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