लेबनान पेजर ब्लास्ट: क्या मोबाइल और स्मार्ट डिवाइस बन सकते हैं नए हथियार

क्या मोबाइल फोन हैं आतंकवादियों के नए हथियार?

Webdunia
बुधवार, 18 सितम्बर 2024 (14:05 IST)
हाल ही में लेबनान में हुए पेजर ब्लास्ट ने दुनिया को हिला कर रख दिया है। बेरूत में हजारों पेजरों में हुए धमाकों में 8 लोगों की जान चली गई और 2750 लोग घायल हो गए। यह घटना पहली बार हुई जब किसी विस्फोट के लिए पेजर का इस्तेमाल किया गया। इस घटना ने सुरक्षा एजेंसियों के सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है और यह सवाल उठाया है कि क्या भविष्य में मोबाइल फोन जैसे उपकरणों का भी इस तरह से दुरुपयोग किया जा सकता है?

लेबनान पेजर ब्लास्ट की घटना ने तकनीक के दुरुपयोग पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस हमले में पेजर का इस्तेमाल किया गया, जिसमें 8 लोगों की मौत हो गई और 2750 से अधिक लोग घायल हुए। ये एक अभूतपूर्व घटना थी, क्योंकि पहली बार किसी विस्फोट के लिए पेजर जैसी डिवाइस का उपयोग किया गया। यह सवाल उठता है कि क्या भविष्य में मोबाइल, लैपटॉप या स्मार्टवॉच भी इसी प्रकार के हथियार के तौर पर इस्तेमाल किए जा सकते हैं?

लेबनान में पेजर ब्लास्ट की घटना ने यह दिखाया कि किस प्रकार छोटी तकनीकी डिवाइसों को भी घातक हथियारों में तब्दील किया जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार पेजरों में 3 ग्राम विस्फोटक छिपाया गया था और एक मैसेज के जरिए सभी पेजरों में धमाका किया गया। ऐसा कहा जा रहा है कि पेजरों में लगे लिथियम बैटरी में ही विस्फोट की वजह हो सकती है। लिथियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल अब स्मार्टफोन, लैपटॉप, स्मार्टवॉच, और इलेक्ट्रिक वाहनों में भी बड़े पैमाने पर हो रहा है।

हालांकि, इन बैटरियों का उपयोग काफी सामान्य हो गया है, लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि यह बैटरियां सही स्थिति न मिलने पर विस्फोट कर सकती हैं। यह संभवतः लिथियम बैटरी की खराबी या जानबूझकर किए गए विस्फोट के कारण हुआ। यह घटना यह सिद्ध करती है कि बैटरी का उपयोग न केवल ऊर्जा स्रोत के रूप में किया जा सकता है, बल्कि सही परिस्थिति में इसे विस्फोटक के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

लिथियम-आयन बैटरी का खतरा : वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लिथियम-आयन बैटरी में ऊर्जा घनत्व (energy density) बहुत अधिक होती है। इस वजह से ये बैटरियां छोटे आकार में भी अधिक ऊर्जा स्टोर कर सकती हैं, जो उन्हें पोर्टेबल डिवाइस के लिए उपयुक्त बनाता है। लेकिन, ये बैटरियां अत्यधिक तापमान, शॉर्ट सर्किट या क्षतिग्रस्त होने पर अत्यधिक गर्मी पैदा कर सकती हैं। इस स्थिति को "थर्मल रनअवे" कहते हैं, जिसमें बैटरी में लगी केमिकल प्रतिक्रियाएं खुद-ब-खुद बढ़ती जाती हैं और अंततः विस्फोट हो सकता है।

अध्ययनों से पता चला है कि गलत तरीके से चार्जिंग, ज्यादा गर्मी, या बैटरी की पुरानी स्थिति में विस्फोट का खतरा और भी बढ़ जाता है। एक शोध में यह पाया गया कि खराब बैटरी सेल या चार्जर का इस्तेमाल करने से बैटरियों के अंदर का तापमान 150°C से ऊपर जा सकता है, जिससे बैटरी फटने का खतरा रहता है।

आजकल अधिकतर स्मार्ट डिवाइसों में लिथियम-आयन बैटरी का उपयोग होता है। यह बैटरी हल्की, पुनःचार्ज करने योग्य और अधिक ऊर्जा घनत्व वाली होती है, जिसकी वजह से इसे मोबाइल फोन, लैपटॉप, और अन्य उपकरणों में इस्तेमाल किया जाता है।

1. ओवरहीटिंग और शॉर्ट-सर्किट: लिथियम-आयन बैटरियों का सबसे बड़ा खतरा इनका अत्यधिक गर्म हो जाना है, जिससे यह शॉर्ट सर्किट कर सकती हैं। इस स्थिति में, बैटरी में आग लग सकती है या यह फट सकती है।

2. विस्फोटक क्षमता: अगर बैटरी में आंतरिक शॉर्ट सर्किट होता है या बाहरी दबाव से बैटरी क्षतिग्रस्त होती है, तो इसमें विस्फोट होने की संभावना होती है।

3. बैटरियों का दुरुपयोग: पेजर ब्लास्ट की घटना ने दिखाया कि बैटरी के साथ विस्फोटक सामग्री को मिलाकर उसे हथियार के रूप में उपयोग किया जा सकता है।

क्या मोबाइल फोन भी बन सकते हैं खतरा? आज के स्मार्टफोन में भी लिथियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल होता है। इस घटना के बाद यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या इन्हें भी पेजरों की तरह विस्फोटक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है? तकनीकी रूप से स्मार्टफोन को भी मॉडिफाई कर विस्फोटक बनाया जा सकता है, क्योंकि ये उपकरण भी बैटरी पर निर्भर होते हैं।

ऐसे में सवाल उठ रहा है कि हिजबुल्लाह के पेजर में धमाके करवाए जा सकते हैं तो फिर, मोबाइल, स्मार्टफोन, लैपटॉप, स्मार्टवॉच में भी हो सकता है। भारतीयों में यह डर और भी ज्यादा है, क्योंकि यहां बड़ी संख्या में लोग चीनी कंपनियों द्वारा बनाए गए मोबाइल फोन इस्तेमाल करते हैं। पड़ोसी चीन के साथ भारत के संबंध अच्छे नहीं है और लंबे समय दोनों देशों के बीच सीमा विवाद चल रहा है। चीनी मोबाइल फोन के बारे में भारतीयों में विशेष चिंता है, क्योंकि भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण संबंधों का इतिहास है।

हालांकि, यह चिंता सिर्फ चीन तक सीमित नहीं है। दुनियाभर में साइबर हमलों, डिवाइस हैकिंग और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के दुरुपयोग का खतरा बढ़ता जा रहा है। स्मार्टफोन को ट्रैक करना आसान हो गया है और इसमें छिपी जानकारी को भी चुराया जा सकता है। लेकिन, पेजर और अन्य कम-टेक डिवाइसों का इस्तेमाल अब नया खतरा पैदा कर रहा है क्योंकि इन्हें ट्रैक करना मुश्किल होता है।

स्मार्टफोन में भी लिथियम-आयन बैटरियां होती हैं और यह खतरा किसी भी बैटरी से संबंधित हो सकता है। हाल ही में मोबाइल फोन विस्फोट की कई घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें बैटरी की खराबी के कारण दुर्घटनाएं हुई हैं। हालांकि, पेजर जैसी लो-टेक डिवाइस की तुलना में स्मार्टफोन को और अधिक परिष्कृत तरीके से मॉडिफाई किया जा सकता है, जिससे इनका दुरुपयोग करना और भी आसान हो सकता है।

जानिए बैटरी से जुड़े सुरक्षा उपाय : मोबाइल और अन्य उपकरणों की बैटरियों से जुड़े खतरे कम करने के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी विशेषज्ञ कई सुझाव देते हैं:

1. अत्यधिक चार्जिंग से बचें: बैटरियों को ओवरचार्ज करने से वे अत्यधिक गर्म हो सकती हैं, जिससे उनके शॉर्ट सर्किट का खतरा बढ़ जाता है।

2. बैकअप पावर का सही उपयोग: बैटरियों को बार-बार बैकअप पावर से चार्ज करने से भी नुकसान हो सकता है, इसलिए इन्हें सही तरीके से इस्तेमाल करना जरूरी है।

3. सरकार और सुरक्षा एजेंसियों का सतर्क रहना: सुरक्षा एजेंसियों को इस प्रकार की घटनाओं से सीख लेकर सभी डिवाइसों पर नजर रखनी होगी, ताकि किसी भी संभावित हमले से बचा जा सके।

4. असली चार्जर का उपयोग: नकली या लोकल चार्जर का इस्तेमाल न करें। ये बैटरी को ओवरहीट कर सकते हैं और विस्फोट का कारण बन सकते हैं।

5. उच्च तापमान से बचाव: बैटरी को अत्यधिक गर्म जगह पर रखने से बचें।

6. सावधानीपूर्वक निपटान: खराब बैटरियों को सही तरीके से निपटाएं, क्योंकि ये न सिर्फ पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं, बल्कि विस्फोट का कारण भी बन सकती हैं।

पेजर ब्लास्ट ने यह सिद्ध कर दिया है कि हम जिस तकनीक पर हर दिन निर्भर होते हैं, वह एक दोधारी तलवार की तरह हो सकती है। बैटरियों और डिवाइसों के खतरे को समझना और उनका सही उपयोग करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। पेजर ब्लास्ट की घटना यह दिखाती है कि छोटी और साधारण तकनीकी डिवाइसों का भी गलत उपयोग किया जा सकता है। वैज्ञानिकों और तकनीकी विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में मोबाइल फोन, स्मार्टवॉच, और अन्य डिवाइसों को भी इसी प्रकार के हमलों में इस्तेमाल किया जा सकता है। इन डिवाइसों को आसानी से ट्रैक किया जा सकता है, इसलिए ऐसे जोखिमों को कम करने के लिए निरंतर अनुसंधान और तकनीकी विकास आवश्यक हैं।

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