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8 लाख साल पुराने ऊनी हाथी का हो सकता है पुनर्जन्म, 4000 साल पहले हुआ था विलुप्त

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राम यादव

, शनिवार, 22 नवंबर 2025 (09:29 IST)
ऊनी मैमथ कहलाने वाले प्रागैतिहासिक हाथियों का अभ्युदय साइबेरिया में आज से 8 लाख से 6 लाख साल पहले हुआ था। उनके अंतिम नमूने साइबेरियाई तट से दूर रैंगल द्वीप पर पाए गए और लगभग 4000 साल पहले वहीं विलुप्त हो गए।
 
अब पहली बार, वैज्ञानिकों के एक शोध-दल ने हज़ारों वर्ष पू्र्व विलुप्त इस जानवर के मिले मृत शरीर से, आरएनए (RNA) कहलाने वाले उसके जैव-अणुओं को बड़ी मात्रा में अलग किया है। लगभग 40,000 वर्ष पुराना, अंग्रेज़ी में 'मैमथ' कहलाने वाला यह जानवर, घने ऊनी बालों वाला एक प्राचीन ऊनी हाथी है। उसे 'युका' नाम दिया गया है। 'युका' का मृत शरीर अपने अंतिम क्षणों का न केवल खुलासा करता है, बल्कि अब तक की एक वैज्ञानिक परिकल्पना का खंडन भी करता है। 
 
हज़ारों वर्षों तक बर्फ में दबा रहा : यह ऊनी हाथी, 2009 में खोजे जाने से पहले, हज़ारों वर्षों तक रूसी साइबेरिया की बर्फ और मिट्टी के मेल से बनी, हिंदी में चिरतुषार और अंग्रेज़ी में पर्माफ्रॉस्ट कहलाने वाली ज़मीन में दबा रहा। तब से, जीवाश्मिकीविद् इस  प्राचीन युवा हाथी के भलीभांति संरक्षित अवशेषों का विश्लेषण कर रहे हैं।
 
इन वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने इस लगभग 40,000 वर्ष पुराने ऊनी मैमथ के साइबेरियाई बर्फ द्वारा जमे हुए ऊतकों से आरएनए अणुओं को निकालने में सफलता प्राप्त कर ली है — एक ऐसी सफलता, जिसे वैज्ञानिक समुदाय लंबे समय से असंभव मान रहा था।
 
आरएनए क्या है? : आरएनए (RNA राइबोन्यूक्लिक एसिड / Ribonucleic acid) एक एकल जैव-अणु है, जो शारीरिक कोशिकाओं में आनुवंशिक जानकारी के स्थानांतरण में केंद्रीय भूमिका निभाता है। डीएनए (DNA/ Deoxyribonucleic acid) जहां किसी प्राणी की आनुवंशिक जानकारी के दीर्घकालिक भंडारण के लिए ज़िम्मेदार होता है, वहीं आरएनए मुख्य रूप से एक 'कार्यशील प्रतिलिपि' बनाता और मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है: वह डीएनए से ही प्रतिलेखित होता है और फिर प्रोटीन संश्लेषण के लिए खाका (टेम्पलेट) प्रदान करता है।
 
इस संदेशवाहक (मेसेन्जर) आरएनए (mRNA) के अलावा, अन्य प्रकार के आरएनए भी होते हैं, जैसे टीआरएनए (tRNA) और आरआरएनए (rRNA), जो प्रोटीन संश्लेषण में सक्रिय रूप से शामिल होते हैं; साथ ही ऐसे नियामक आरएनए भी होते हैं, जो जीन की गतिविधि को नियंत्रित करते हैं। 
 
300 से ज़्यादा आरएनए अणु : स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम स्थित 'सेंटर फॉर पैलियोजेनेटिक्स' के एमिलियो मार्मोल के नेतृत्व वाली टीम 'युका' के ऊतकों (टिश्यू) से 300 से ज़्यादा आरएनए अणु और 60 तथाकथित 'माइक्रोआरएनए' निकालने में सफल रही। 'स्किनेक्स' नाम के एक पोर्टल की रिपोर्ट के अनुसार, किसी प्राचीन ऊनी हाथी के ये 'अब तक के सबसे पुराने संरक्षित सक्रिप्शनल सिग्नेचर' (प्रतिलेखन संकेत) हैं। वे अब तक मिले 14,000 साल पुराने एक भेड़िये के सबसे पुराने आरएनए अंशों से भी दोगुने से भी ज़्यादा पुराने हैं।
 
'युका' से जुड़े अध्ययन के प्रमुख लेखक एमिलियो मार्मोल बताते हैं, 'यह आरएनए हमें हिमयुग के एक विशालकाय जीव के जीवन के अंतिम क्षणों की जानकारी देता है। ऐसी जानकारी केवल डीएनए से ही प्राप्त नहीं की जा सकती।' पहले यह माना जाता था कि आरएनए— जिसे आमतौर पर बहुत अस्थिर माना जाता है— मृत्यु के कुछ ही घंटों के भीतर नष्ट हो जाता है। लेकिन, 'सेल' पत्रिका में प्रकाशित यह अध्ययन इस सिद्धांत का खंडन करता है।
 
'युका' के नाटकीय अंतिम घंटे : आरएनए अणुओं के विश्लेषण से इस युवा ऊनी हाथी की मृत्यु के बारे में नाटकीय विवरण सामने आए हैं। वैज्ञानिकों को उसके ऊतकों (टिश्यू) में 'कोशिकीय तनाव' के प्रमाण मिले, जो बिल्कुल भी आश्चर्यजनक नहीं है। शोधकर्ताओं ने कहा कि यह अवलोकन पिछले अध्ययनों से मेल खाता है, जिनमें बताया गया था कि 'युका पर उसकी मृत्यु से कुछ समय पहले गुफाओं के शेरों ने हमला कर दिया था।'
 
स्टॉकहोम विश्वविद्यालय के मार्क फ्रीडलैंडर, जो इस शोध में भी शामिल थे, माइक्रो-आरएनए की खोज को महत्वपूर्ण मानते हैं: मैमथ के ऊतकों में पाई गई मांसपेशियों की विशिष्टता वाले माइक्रो-आरएनए, प्राचीन कालीन जीन-विनियमन के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। यह पहली बार है, जब ऐसा कुछ हासिल किया गया है।
 
'युका' मादा नहीं, नर निकला : डीएनए के विपरीत, जो किसी जीव की आनुवंशिक संरचना का मानो जैसे केवल दस्तावेज़ बनाता है, आरएनए यह बताता है कि कौन से जीन वास्तव में सक्रिय थे। आगे के विश्लेषणों से एक और रोमांचक निष्कर्ष निकला: 'युका' को मादा माना जा रहा था, किंतु आनुवंशिक विश्लेषणों से पता चला कि उसकी कोशिकाओं में केवल एक X गुणसूत्र (क्रोमोसोम) था — इसलिए 'युका' एक ऊनी नर हाथी था।
 
शोधकर्ता आगे के अध्ययनों की योजना अभी से बना रहे हैं। प्रागैतिहासिक आरएनए को वे डीएनए, प्रोटीन और अन्य संरक्षित जैव-अणुओं के साथ मिलाना चाहते हैं। उनका मानना है कि 'ऐसे अध्ययन प्राचीन कालीन विलुप्त ऊनी हाथी जैसे अन्य बड़े जानवरों और प्रजातियों के बारे में हमारी समझ को मौलिक रूप से बदल सकते हैं।'
 
पुनर्जन्म की संभवना : इस संदर्भ में यह भी उल्लेखनीय है कि कुछ वैज्ञानिक, मैमथ कहलाने वाले विलुप्त हो गए प्रागैतिहासिक कालीन विशालकाय उनी हाथी को पुनर्जन्म देने की सोच रहे हैं। वे हाथी रूसी साइबेरिया के बर्फीले जंगलों में विचरण किया करते थे। साबेरिया, एशिया महाद्वीप में है। इन वैज्ञानिकों का मानना है कि प्रयोगशाला में, किसी प्राचीन साइबेरियाई नर ऊनी हाथी के शुक्राणु और आज की किसी भारतीय एशियाई हथिनी के डिम्बाणु के बीच निषेचन से साइबेरियाई ऊनी हाथी का पुनर्जन्म संभव होना चाहिए। आनुवांशिकी की दृष्टि से, भारतीय उपमहाद्वीप के हाथी ही प्रचीन कालीन साइबेरियाई ऊनी हाथी के सबसे निकटवर्ती संबंधी माने जा सकते हैं। ऊनी हाथी की तरह ही, यूरोप-अमेरिका की प्रयोगशालाओं में ऐसे और भी कई प्राचीन जानवरों एवं पक्षियों के पुनर्जन्म के प्रयास चल रहे हैं, जो समय के साथ हमारी धरती पर से विलुप्त हो गए।

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