प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमेरिका यात्रा से संतुष्ट

Webdunia
बुधवार, 1 अक्टूबर 2014 (18:28 IST)
वॉशिंगटन। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘थैंक यू अमेरिका’ के साथ अपनी पांच दिन की अमेरिका यात्रा का समापन किया और इसे ‘बहुत सफल और संतोषजनक’ करार दिया। विश्लेषकों का कहना है कि प्रधानमंत्री अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ निजी रिश्ते बनाने और काफी हद तक द्विपक्षीय संबंधों को दुरुस्त करने में सफल रहे।
दो दौर की वार्ता के बाद दोनों नेताओं की ओर से जारी संयुक्त बयान में दोनों देशों के बीच वृहद सामरिक और वैश्विक गठजोड़, साझा मूल्यों और सहयोग को मजबूत एवं गहरा बनाने की इच्छा व्यक्त की गई।
 
64 वर्षीय भारतीय नेता ने अपनी ऊर्जा और भारत में बदलाव लाने की अपनी घोषित प्रतिबद्धता के साथ अपनी मजबूत छाप छोड़ी और इस क्रम में उन्होंने रेलवे, रक्षा उत्पादन समेत अन्य क्षेत्रों में अमेरिका से निवेश और सहयोग मांगा।
 
मोदी ने अमेरिकी उद्योगों से भारत में अपना आधार बनाने और इसका विस्तार करने का आग्रह किया, इससे पहले कि ‘देर हो जाए।’ प्रधानमंत्री ने अमेरिका-भारत कारोबार परिषद (यूएसआईबीसी) से कहा कि वह अगले छह महीने में भारत में कारोबार को सुगम बनाने के लिए सभी जरूरी चीजें लागू कर देंगे।
 
यूएसआईबीसी ने मोदी को बताया कि उन्होंने अगले तीन वर्षों में अपने सदस्यों की ओर से भारत में 41 अरब डॉलर के निवेश की पहचान की है। बहरहाल, अमेरिकी मीडिया का मानना है कि भारतीय कराधान कानूनों, कारोबार एवं असैन्य परमाणु सहयोग जैसे जटिल मुद्दों को अभी सुलझाया जाना है, जिसने हाल के वर्षों में दोनों देशों को बांटने का काम किया है।
 
दोनों पक्षों के बीच 2005 के असैन्य परमाणु करार को तेजी से लागू करने से जुड़े जवाबदेही और तकनीकी मुद्दों को सुलझाने के लिए अंतर एजेंसी सम्पर्क समूह गठित करने का निर्णय किया गया। असैन्य परमाणु करार पर पूर्व की मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के दौरान हस्ताक्षर किए गए थे।
 
यह करार जवाबदेही से जुड़े मुद्दों के कारण आगे नहीं बढ़ पा रहा है क्योंकि अमेरिका के साथ परमाणु रिएक्टर की आपूर्ति करने वालों की यह शिकायत है कि यह विधान उनके खिलाफ है। 
 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा की उपलब्धियों में 10 वर्ष के रक्षा सहयोग ढांचे का नवीकरण, नौवहन सहयोग समझौता और उच्च प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष और स्वास्थ्य सहयोग समेत कई अन्य पहल शामिल हैं। 
 
मुम्बई में 1993 के श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोटों का साजिशकर्ता दाउद इब्राहिम और उसका वित्तीय नेटवर्क अब पहली बार भारत और अमेरिका के निशाने पर आया हैं क्योंकि दोनों देशों ने डी कंपनी समेत तमाम आतंकवादियों और अपराधियों की पनाहगाहों को ध्वस्त करने के लिए समझौता किया है।
 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अलकायदा, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हक्कानी नेटवर्क और डी कंपनी को मिलने वाली सभी तरह की वित्तीय और अन्य प्रकार की सहायता को समाप्त करने के लिए संयुक्त और ठोस प्रयास करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
 
यहां डी कंपनी से अभिप्राय दाउद इब्राहिम के नेटवर्क से है, जो समझा जाता है कि आधिकारिक संरक्षण में पाकिस्तान में रह रहा है। दोनों नेताओं ने दक्षिण एशिया में आतंकवाद और पश्चित एशिया में उभरते खतरों के बारे में चर्चा की लेकिन भारत ने स्पष्ट किया कि वह आईएसआईएस संगठन के खिलाफ जारी लड़ाई में ‘किसी गठबंधन’ में शामिल नहीं होगा। (भाषा)
 
Show comments

महाराष्ट्र में कौनसी पार्टी असली और कौनसी नकली, भ्रमित हुआ मतदाता

Prajwal Revanna : यौन उत्पीड़न मामले में JDS सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर एक्शन, पार्टी से कर दिए गए सस्पेंड

क्या इस्लाम न मानने वालों पर शरिया कानून लागू होगा, महिला की याचिका पर केंद्र व केरल सरकार को SC का नोटिस

MP कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और MLA विक्रांत भूरिया पर पास्को एक्ट में FIR दर्ज

टूड्रो के सामने लगे खालिस्तान जिंदाबाद के नारे, भारत ने राजदूत को किया तलब

कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को साइड इफेक्ट का कितना डर, डॉ. रमन गंगाखेडकर से जानें आपके हर सवाल का जवाब?

Covishield Vaccine से Blood clotting और Heart attack पर क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स, जानिए कितना है रिस्‍क?

इस्लामाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, नहीं मिला इमरान के पास गोपनीय दस्तावेज होने का कोई सबूत

पुलिस ने स्कूलों को धमकी को बताया फर्जी, कहा जांच में कुछ नहीं मिला

दिल्ली-NCR के कितने स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी, अब तक क्या एक्शन हुआ?