पेरिस में आज ओबामा से मुलाकात करेंगे प्रधानमंत्री मोदी

Webdunia
सोमवार, 30 नवंबर 2015 (12:13 IST)
वॉ‍शिंगटन। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा आज (सोमवार को) पेरिस में मुलाकात करेंगे और इस दौरान दोनों नेता द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति की समीक्षा करेंगे और आतंकवाद समेत वैश्विक एवं क्षेत्रीय मामलों पर वार्ता करेंगे।


दोनों नेताओं के जलवायु परिवर्तन पर आयोजित महत्वपूर्ण सम्मेलन के इतर पेरिस में स्थानीय समयानुसार अपराह्न 2 बजकर 45 मिनट पर मुलाकात करने की उम्मीद है।

ओबामा और मोदी मुख्य रूप से जलवायु परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करेंगे लेकिन साथ ही वे द्विपक्षीय संबंधों की दिशा में हुई प्रगति की भी समीक्षा करेंगे और आतंकवाद समेत वैश्विक एवं क्षेत्रीय मामलों पर बातचीत करेंगे।

व्हाइट हाउस की ओर से रविवार को जारी राष्ट्रपति के कार्यक्रम की समय सारिणी के अनुसार दोनों देशों के नेता कुछ देर के लिए मीडिया से भी रू-ब-रू होंगे और बयान देंगे। ओबामा अपने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग के साथ भी सुबह द्विपक्षीय बैठक करेंगे।

मोदी के पिछले साल मई में सत्ता में आने के बाद से दोनों नेताओं ने अब तक रिकॉर्ड 5 बार मुलाकात की है। इससे पहले वे सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के इतर न्यूयॉर्क में मिले थे। पेरिस में होने वाली मुलाकात उनकी 6ठी द्विपक्षीय बैठक होगी।

व्हाइट हाउस ने बताया कि पेरिस में द्विपक्षीय वार्ता के तत्काल बाद दोनों नेता फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद एवं अन्य नेता और निजी क्षेत्र के सदस्य ‘मिशन इनोवेशन इवेंट’ के लिए एकत्र होंगे। ओबामा इस महीने की शुरुआत में हुए आतंकवादी हमलों के मद्देनजर अभूतपूर्व सुरक्षा के बीच रविवार देर रात पेरिस पहुंचे थे।

दोनों नेताओं के बीच पहली बैठक पिछले साल सितंबर में वॉशिंगटन में हुई थी, जब ओबामा ने व्हाइट हाउस में मोदी की मेजबानी की थी।

ओबामा ने इस वर्ष 26 जनवरी को नई दिल्ली में आयोजित गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होने का मोदी का निमंत्रण स्वीकार किया था। इस बीच उन्होंने जी-20 समेत अंतरराष्ट्रीय वार्ताओं के इतर दो बार मुलाकात की।

पेरिस जलवायु परिवर्तन सम्मेलन को कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (सीओपी 21) के नाम से भी जाना जाता है। यह सम्मेलन 11 दिसंबर तक चलेगा।

संयुक्त राष्ट्र वार्ताओं के 20 से अधिक वर्षों में पहली बार पेरिस जलवायु सम्मेलन का मकसद कानूनी रूप से बाध्यकारी जलवायु संबंधी एक वैश्विक समझौता करना है ताकि ग्लोबल वॉर्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखा जा सके।

सम्मेलन में करीब 50,000 प्रतिभागियों के भाग लेने की उम्मीद है जिनमें करीब 25,000 सरकारी प्रतिनिधिमंडल, अंतरसरकारी संगठन, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, एनजीओ और सिविल सोसायटी के सदस्य होंगे। (भाषा)
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