बीजिंग। चीन में फैल रहे जानलेवा कोरोना वायरस (Corona virus) की पहचान के लिए 'न्यूक्लिक एसिड' परीक्षण विधि सबसे अहम है और इससे इस बीमारी के बारे में जल्द पता लग सकता है ताकि मरीजों को समय रहते प्रभावी उपचार प्रदान किया जा सके।
पेकिंग विश्वविद्यालय के फर्स्ट हास्पिटल के संक्रामक रोग विभाग के चिकित्सा निदेशक वांग गुईकियांग ने शुक्रवार को बताया कि इस परीक्षण विधि से रोग के बारे में जल्द पहचान कर मरीजों को समय रहते प्रभावी उपचार प्रदान किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि इस परीक्षण विधि के बारे में चीन की क्षमता में काफी इजाफा हुआ है और इस कार्य के लिए बेहतर तौर पर प्रशिक्षित चिकित्सा संस्थाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है और देश में इस बीमारी के परीक्षण के लिए पर्याप्त मात्रा में ‘न्यूक्लिक एसिड रिजेंटस’ रसायन हैं।
चीन के हुबेई प्रांत में सबसे पहले इस बीमारी का पता चला था और वहां 109,000 रिजेंटस किट्स हैं जिनकी क्षमता रोजाना 4 से 5 हजार नमूनों की जांच करने की है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा 25 अस्पतालों और 12 मान्यता प्राप्त थर्ड पार्टी संस्थाओं में भी इस परीक्षण की सुविधा है।
चीन के हुबेई में 2250 चिकित्सा कर्मियों की कमी : चीन के हुबेई प्रांत में जानलेवा कोरोना वायरस के मरीजों का उपचार करने के लिए कम से कम 2250 चिकित्सा कर्मियों की कमी है। प्रांत के डिप्टी गवर्नर यांग युनयान ने गुरुवार को यह जानकारी दी है।
उन्होंने कहा कि हुबेई प्रांत में कोरोना वायरस से निपटने के लिए बुधवार को 107 चिकित्सा दलों को प्रांत में भेजा गया है जिनमें 10,596 चिकित्सा कर्मी शामिल हैं। इनमें से 9,061 चिकित्सा कर्मियों को कोरोना वायरस से सबसे अधिक प्रभावित वुहान शहर में भेजा गया है।
गौरतलब है कि नए कोरोना वायरस का पहला मामला दिसंबर में चीन के वुहान शहर में सामने आया था और इसके बाद यह वायरस 25 से अधिक देशों में फैल गया। चीन में कोरोना वायरस से अभी तक 636 लोगों की मौत हो गई है और 31,161 लोगों में इस संक्रमण के पाए जाने की पुष्टि हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना वायरस के मद्देनजर गत सप्ताह वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा की थी।