क्वाड समिट में पीएम मोदी बोले, हम किसी के खिलाफ नहीं

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
रविवार, 22 सितम्बर 2024 (08:04 IST)
PM Modi in USA : पीएम मोदी ने क्वाड शिखर सम्मेलन में कहा कि भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शांति के पक्षधर है। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है, जब दुनिया तनाव और संघर्ष से घिरी हुई है। ऐसे में साझा लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर क्वाड का एक साथ काम करना पूरी मानवता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हम किसी के खिलाफ नहीं हैं।
 
पीएम मोदी ने कहा कि हम सभी एक नियमों पर आधारित इंटरनेशनल ऑर्डर, संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान और सभी मसलों के शांतिपूर्ण ढंग से हल निकालने का समर्थन करते हैं।

माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री का परोक्ष रूप से इशारा चीन की ओर था। चीन दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर क्षेत्रीय विवादों में शामिल है। चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपनी संप्रभुता का दावा करता है वहीं वियतनाम, मलेशिया, फिलीपीन, ब्रुनेई और ताइवान भी इस पर अपना दावा करते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारा संदेश स्पष्ट है कि क्वाड कायम रहेगा, सहायता करेगा, साझेदारी करेगा और पूरक बनेगा। उन्होंने कहा कि हमने मिलकर स्वास्थ्य सुरक्षा, महत्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियों, जलवायु परिवर्तन, क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों में कई सकारात्मक एवं समावेशी पहल की हैं।

उन्होंने कहा कि बाइडन की सराहना करते हुए कहा कि आपके नेतृत्व में 2021 में पहली क्वाड समिट का आयोजन किया गया और इतने कम समय में हमने अपने सहयोग को हर दिशा में अभूतपूर्व रूप से बढ़ाया है। मैं क्वाड के लिए आपकी दृढ़ प्रतिबद्धता, आपके नेतृत्व और आपके योगदान के लिए आपको धन्यवाद देता हूं। हमें 2025 में क्वाड लीडर समिट का आयोजन भारत में करने में खुशी होगी।

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PM Shri @narendramodi's remarks during Quad Leaders' Summit in the US. https://t.co/FxQBa4VKpk

— BJP (@BJP4India) September 21, 2024 >इस साल क्वाड नेताओं का शिखर सम्मेलन पहले भारत में होने वाला था। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन इस कार्यक्रम को अपने गृहनगर में आयोजित करने के इच्छुक थे।

बैठक के बाद क्वाड नेताओं ने संयुक्त वक्तव्य जारी कर कहा, हम पूर्वी और दक्षिण चीन सागर की स्थिति को लेकर गंभीर रूप से चिंतित हैं। हम विवादित विशेषताओं के सैन्यीकरण और दक्षिण चीन सागर में बलपूर्वक और डराने-धमकाने वाले युद्धाभ्यासों के बारे में अपनी गंभीर चिंता व्यक्त करना जारी रखते हैं।
 
वक्तव्य में कहा गया कि हम खतरनाक युद्धाभ्यासों के बढ़ते उपयोग सहित तट रक्षक और समुद्री मिलिशिया जहाजों के खतरनाक उपयोग की निंदा करते हैं। हम अन्य देशों की अपतटीय संसाधन दोहन गतिविधियों को बाधित करने के प्रयासों का भी विरोध करते हैं। हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि समुद्री विवादों को शांतिपूर्वक और अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार हल किया जाना चाहिए, जैसा कि UNCLOS में परिलक्षित होता है।
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