PM शेख हसीना ढाई लाख वोटों से जीतीं, कहा, हम विदेशी मीडिया की परवाह नहीं करते

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
सोमवार, 8 जनवरी 2024 (08:09 IST)
  • बांग्लादेश में शेख हसीना को 249,965 वोट मिले
  • उन्होंने 1986 से आठ बार गोपालगंज-3 सीट पर जीत हासिल की
  • निकटतम प्रतिद्वंद्वी एवं बांग्लादेश सुप्रीम पार्टी के एम निजाम उद्दीन लश्कर को महज 469 वोट ही मिले
बांग्लादेश में हाल ही में आम चुनाव हुए। इन चुनावों में एक बार फिर से शेख हसीना का डंका बज रहा है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री एवं अवामी लीग प्रमुख शेख हसीना (Sheikh Hasina) ने छिटपुट हिंसा और मुख्य विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (Bangladesh Nationalist Party) द्वारा चुनावों का बहिष्कार किए जाने के बीच रविवार को गोपालगंज-3 संसदीय सीट पर फिर से शानदार जीत दर्ज की।

रिपोर्ट के मुताबिक शेख हसीना को 249,965 वोट मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी एवं बांग्लादेश सुप्रीम पार्टी के एम निजाम उद्दीन लश्कर को महज 469 वोट ही मिले।

हसीना को आंठवी बार मिली जीत : गोपालगंज उपायुक्त एवं चुनाव अधिकारी काजी महबुबूल आलम ने नतीजे की घोषणा की। उन्होंने 1986 से आठ बार गोपालगंज-3 सीट पर जीत हासिल की है। प्रधानमंत्री हसीना लगातार चौथा कार्यकाल हासिल करने वाली हैं। उनका अब तक का यह पांचवां कार्यकाल होगा। हसीना 2009 से बांग्लादेश में शासन कर रही हैं। अब तक के रूझानों के अनुसार, अवामी लीग के उम्मीदवार ज्यादातार सीट पर बढ़त बनाये हुए हैं।

हमे लोगों की परवाह, मीडिया की नहीं : इससे पहले शेख हसीना ने रविवार को कहा कि उन्हें चुनावों को लेकर विदेशी मीडिया की स्वीकृति की कोई परवाह नहीं है, क्योंकि देश के लोगों के बीच उनकी स्वीकार्यता ही सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है। हसीना ने यह टिप्पणी देश के 12वें आम चुनाव में अपना वोट डालने के बाद की। मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने चुनावों का बहिष्कार किया था।

निर्वाचन आयोग के शुरुआती अनुमान के मुताबिक, मतदान लगभग 40 प्रतिशत हुआ है लेकिन अंतिम आंकड़ा बाद में ही सामने आयेगा। इस सवाल के जवाब में कि बीएनपी के बहिष्कार के बीच चुनाव (विदेशी मीडिया में) कितना स्वीकार्य होगा, हसीना ने कहा कि उनकी जिम्मेदारी लोगों के प्रति है।

शेख हसीना ने कहा कि लोग इस चुनाव को स्वीकार करते हैं या नहीं यह मेरे लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए, मुझे उनकी (विदेशी मीडिया) स्वीकार्यता की परवाह नहीं है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि ‘आतंकवादी दल' ने क्या कहा या नहीं?'' "कौन क्या कह रहा है इसकी हमें परवाह नहीं"
Edited by navin rangiyal/ Bhasha

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