स्क्लेरोडर्मा जिसमें शरीर पत्थर जैसा हो जाता है

Webdunia
बुधवार, 10 जनवरी 2018 (18:17 IST)
न्यू यॉर्क । 'मेरी बाजुओं में उठता दर्द हर वक्त मुझे याद दिलाता है कि मेरा शरीर जल्दी ही पत्थर जैसा होने वाला है।' यह कहना है 37 साल की जे वर्डी का। कुछ साल पहले वे एक स्कूल में शिक्षिका थीं लेकिन एक दुर्लभ बीमारी ने उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल कर रख दी। 
 
जे वर्डी एक ऐसी लाइलाज बीमारी से पीड़ित हैं जिसमें उनका शरीर धीरे-धीरे कठोर पत्थर जैसा होता जा रहा है। इस बीमारी का नाम है 'स्क्लेरोडर्मा'। स्क्लेरोडर्मा की वजह से जे वर्डी की त्वचा और जोड़ों में कठोरता आने लगी है। 
 
उनके फेफड़ों पर भी इसका असर पड़ रहा है और डॉक्टरों का कहना है कि अभी उनकी हालत और ज्यादा खराब हो सकती है। वर्डी को नहीं पता कि आने वाला वक्त उनके लिए कितना मुश्किल भरा हो सकता है। शायद इस बीमारी की वजह से वह नजदीक की दुकान तक भी न जा सकें या आराम से सांस भी न ले पाएं।
 
बाहर से सामान्य सा दिखने वाला वर्डी का शरीर भीतर ही भीतर कई दिक्कतों से जूझ रहा है। कपड़ों के अंदर वह जो महसूस कर रही हैं उसे बाहर किसी को नहीं बता सकतीं। अपनी बीमारी की वजह से वर्डी के कई सपने अधूरे रह गए हैं। शादी करना और मां बनना उनके इन्हीं सपनों का एक हिस्सा था लेकिन फिलहाल सब धुंधला सा हो गया है। 
 
वर्डी कहती हैं, 'मुझे लगता है कि एक दिन मेरा पूरा शरीर पत्थर बन जाएगा। मैं मुस्कुरा भी नहीं पाउंगी। मैं किसी पत्थर की मूरत सी बनकर रह जाउंगी, लेकिन वर्डी की जिंदगी हमेशा से ऐसी नहीं थी।
 
साल 2010 में वे एक माध्यमिक स्कूल में आईटी की अध्यापिका थीं। उन्हें छुट्टियों में घूमना बहुत पसंद था। ऐसी ही एक छुट्टियों में वे ग्रीक आइलैंड घूमने गईं थी जब पहली बार उनकी दोस्त कैरोल‍िन ने उनकी त्वचा में कुछ बदलाव देखा। 
 
शुरुआत में वर्डी ने अपनी त्वचा में आ रहे इन बदलावों को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया। उन्हें नहीं पता था कि एक दिन यह मामूली सी लगने वाली समस्या इतनी गंभीर बीमारी बनकर उभरेगी।
 
वर्डी को अपनी बीमारी पता लगने में तीन साल लग गए। इस बीच उन्होंने बहुत से टेस्ट करवाए। 
 
कई डॉक्टरों से सलाह ली। वर्डी के लिए जिंदगी हर दिन मुश्किल होने लगी। उनके लिए कलम उठाना, टाइपिंग करना किसी चुनौती जैसा हो गया। वर्डी बताती हैं कि लगभग 18 महीनों तक डॉक्टरों से सलाह लेने के बाद, मुझे यह झटका लगा। 
 
मुझे याद है मैं उस वक्त कार चला रही थी और अचानक ही मैं रोने लगी, मैंने अपने डॉक्टर से मुलाकात की और उनसे स्पष्ट रूप से पूछा कि मुझे क्या बीमारी हो गई है। इसके बाद वर्डी ने स्कूल छोड़ दिया। उनका करियर, सपने सब कुछ अधर में लटक गए। वर्डी के दोस्तों को विश्वास नहीं हुआ कि उन्हें इस तरह की अजीब बीमारी हो गई है। 
 
वर्डी कहती हैं, 'ये बीमारी बाहर से नहीं दिखती, इसे सिर्फ मैं अपने अंदर महसूस कर पाती हूं।' ये बीमारी वर्डी के फेफड़ों तक पहुंच गई है। उन्हें सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। इसी तरह उनकी स्वर नली (वोकल कॉर्ड) में भी परेशानियां पैदा होने लगी हैं। 

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