लेबनान में मरा एक Nasrallah तो इराक में पैदा हो गए 100 नसरल्लाह, हसन नसरल्लाह क्‍यों बन गया रक्‍तबीज?

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
गुरुवार, 3 अक्टूबर 2024 (13:22 IST)
हिजबुल्लाह (Hezbollah) चीफ हसन नसरुल्लाह (Hassan Nasrallah)  के लिए दीवानगी न सिर्फ लेबनान में बल्‍कि जहां भी जिन भी देशों में शिया आबादी (Shia community) ज्यादा है, वहां हसन नसरुल्लाह को नायक माना जाता है। जब हसन नसरुल्‍लाह की मौत हुई तो शिया आबादी में मौत का मातम मनाया गया था।

इराक में भी नसरुल्लाह की मौत को लेकर लोगों में जमकर गुस्सा है। यहां तो नसरुल्लाह को इतना माना जाता है कि उसकी मौत के बाद जन्‍में 100 से ज्यादा बच्चों के नाम उनके मां बाप ने नसरुल्लाह रख दिए गए हैं। यह नाम हिजबुल्लाह लीडर को श्रद्धांजलि के रूप में दिए जा रहे हैं। उसके नाम से बच्चों के नाम रखे जाना बताता है कि वहां उसके प्रति क्‍या दीवानगी रही होगी।

बता दें कि इजरायल लेबनान पर जमकर अटैक कर रहा है। इस वॉर के शुरू होने के बाद मिडिल ईस्‍ट में तीसरे विश्‍वयुद्ध की आहट सुनाई देने लगी है।

बन गया नसरुल्‍ला नाम का ट्रेंड : बता दें कि लोग नसरुल्लाह को इजरायल के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक मानते हैं। इराक ने नसरुल्लाह को शहीद का दर्जा दिया है और वहां उसकी हत्या से व्यापक विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं। इराक के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देशभर में करीब 100 बच्‍चों को ‘नसरुल्लाह’ नाम से पंजीकृत किया गया है। लेबनान के बेरूत में इजरायली हवाई हमले में हिज्बुल्लाह नेता हसन नसरुल्लाह की मौत के बाद के दिनों में इराक में नवजात शिशुओं के नाम रखने का ट्रेंड शुरू हो गया है।

3 दशक तक हिज्बुल्लाह के शीर्ष पर : बता दें कि नसरुल्लाह तीन दशकों से अधिक समय तक हिज्बुल्लाह के शीर्ष पर था। उसकी हत्या ने पूरे देश में गुस्सा भड़का दिया, जिससे बगदाद और अन्य शहरों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों ने इजरायल की कार्रवाई की निंदा की और हत्या को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया। इराकी प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी ने नसरुल्लाह को शहीद बताया है।

क्‍या है इराक से गहरा रिश्ता : इराक के साथ नसरुल्लाह के गहरे संबंध हैं, जो धर्म और राजनीतिक विचारधारा दोनों से जुड़ते हैं। 1960 में साधारण परिवार में जन्मे नसरुल्लाह ने इराकी शहर नजफ में एक शिया मदरसे में इस्लाम का अध्ययन किया। यहीं पर उनके राजनीतिक विचारों ने आकार लिया और वे दावा पार्टी में शामिल हो गए। लेबनान पर इजरायल के आक्रमण के बाद 1982 में हिजबुल्लाह में शामिल होने के बाद वे प्रमुखता से उभरे। ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के समर्थन से गठित हिजबुल्लाह शुरू में इजरायली सेना का विरोध करने के उद्देश्य से एक बना संगठन था। नसरुल्लाह ने 1992 में अपने गुरु अब्बास मुसावी की हत्या के बाद हिजबुल्लाह की बागडोर संभाली। उनके नेतृत्व में हिजबुल्लाह की ताकत सैन्य और राजनीतिक दोनों रूप से बढ़ी।
Edited by Navin Rangiyal

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