ट्रंप ने येरूशलम को दी राजधानी के तौर पर मान्यता, मचा बवाल

Webdunia
गुरुवार, 7 दिसंबर 2017 (09:14 IST)
वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा येरूशलम को इसराइल की राजधानी के तौर पर मान्यता दिए जाने की पूरे विश्व में व्यापक आलोचना हो रही है। अरब देशों समेत मुस्लिम जगत के नेताओं तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने ट्रंप के इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। विभिन्न देशों के नेताओं ने इस फैसले के कारण हिंसा भड़कने और विरोध प्रदर्शन की आशंका जाहिर की है।
 
ट्रंप ने अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से येरूशलम स्थानांतरित करने को भी मंजूरी दे दी है, इसके साथ ही अमेरिका येरूशलम को इसराइल की राजधानी के तौर पर आधिकारिक मान्यता देने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है।
 
फिलीस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने ट्रंप के इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि लगभग एक दशक तक मध्यस्थ की भूमिका निभाने के बाद अमेरिका शांति समझौते में अपनी भूमिका से पीछे हट रहा है। अब्बास ने येरूशलम को फिलीस्तीन की राजधानी बताते हुए कहा कि शांति प्रयासों को कमजोर करने वाला यह फैसला निंदनीय और अस्वीकार्य है।
 
इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप के इस फैसले को ऐतिहासिक करार देते हुए इसे अमेरिका का एक साहसिक कदम बताया है। उन्होंने अपने संबोधन में इसे शांति की दिशा में किया गया एक प्रयास बताया है।
 
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने मंगलवार को विभिन्न अरब नेताओं को फोन कर बताया कि वह दूतावास को तेल अवीव से येरूशलम स्थानांतरित करना चाहते हैं। ट्रंप ने फिलीस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास, जार्डन के शाह अब्दुल्ला, मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी और सऊदी अरब के शाह सलमान को फोन कर अपने इस फैसले की जानकारी दी।
 
कई नेताओं ने इस संबंध में ट्रंप को चेतावनी देते हुए कहा कि येरूशलम पर एकतरफा अमेरिकी कदमों से उसके नेतृत्व में जारी शांति प्रयासों को झटका लगेगा और इस क्षेत्र में उथल-पुथल पैदा होगी।
 
ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला अली खामनेई ने येरूशलम को इसराइल की राजधानी के तौर पर मान्यता दिए जाने की कड़ी आलोचना की है। इस बीच जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला ने इस फैसले से उत्पन्न हुई समस्या से निपटने के लिए संयुक्त प्रयास करने की अपील की है। 
 
तुर्की ने भी अमेरिकी राष्ट्रपति के इस फैसले की कड़ी निंदा की है। तुर्की के विदेश मंत्री ने ट्रंप के इस फैसले को अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का उल्लंघन करने वाला बताया है।
 
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति का यह फैसला इजरायल और फिलीस्तीन के बीच शांति की संभावनाओं को बर्बाद कर देगा। उन्होंने कहा कि येरूशलम पर अंतिम फैसला संबंधित दोनों पक्षों की आपसी बातचीत के बाद ही लिया जाना चाहिए। इसके अलावा यूरोपीय संघ, जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस ने भी येरूशलम पर अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले की निंदा की है। (वार्ता)

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