44 सालों तक 20 लाख पौंड की चीजें चुराईं

Webdunia
उसे दुकानों से चोरी करने का कोई मलाल नहीं है और वह इसमें कोई शर्म भी महसूस नहीं करती है। इस कारण से वह 44 वर्षों तक दुकानों से चोरी करती रही। वह डिजाइनर कपड़े पहनती है, प्लास्टिक सर्जरी करा चुकी है और छुट्‍टियां मनाने के लिए सैर सपाटों के लिए जाती है। उसने अब तक 20 लाख पौंड की वस्तुएं चुराई हैं, लेकिन वह अभी भी काउंसिल के मुफ्‍त के मकान में रहती है और सरकार से प्रतिमाह 556 पौंड का भत्ता भी हासिल करती है। 
 
मेल ऑनलाइन में लूसी क्रॉसली लिखती हैं कि 54 वर्षीय किम फैरी ने अपने परिवार की मदद करने के लिए नौ वर्ष की उम्र से चोरी की शुरुआत की थी। जब उसका काम जोरदार चलता था तो उसका कहना था कि उसकी कमाई प्रतिवर्ष पचास हजार पौंड से भी ज्यादा थी। उस पर दुकानों से चोरी करने के 50 बार आरोप लगाए गए हैं और उसे सात बार सजा भी हो चुकी है। छह बच्चों की मां ने अब अपराध का जीवन छोड़ दिया और उनके अनुसार उन्होंने आठ हफ्तों से कोई चोरी नहीं की है। पर उसका कहना है कि सरकारी लाभों से वह अपनी जीवनशैली नहीं चला सकती है इसलिए वह फिर से चोरी करने लग सकती है।  
 
दक्षिण पश्चिम लंदन में काउंसिल के किराया मुक्त घर में रहने वाली किम ने दुकानों से चोरी करने को अपना 'काम' बताया है। एक साक्षात्कार में उसका कहना है कि वह इसलिए इस काम को छोड़ चुकी है क्योंकि उसकी सबसे छोटी बेटी पैरिस भी 14 वर्ष की हो चुकी है। उसका दावा है कि उसने दो महीने से कुछ नहीं चुराया है, लेकिन वह अपनी शान शौकत वाली जीवन शैली को नहीं छोड़ सकती है इसलिए वह फिर से चोरी करने लग सकती है। 
 
संडे पीपल की विकी व्हाइट और जेमा एल्ड्रिज से उसने कहा कि मैं अब अमीर से गरीब हो रही हूं। आखिर मैं क्यों सरकारी खैरात पर पलूं। लम्बा समय हो गया है जब मैंने कोई चोरी नहीं की है और अब ऐसा न करना अविश्वसनीय रूप से कठिन होगा। उसका कहना है कि जब वे दस वर्ष की थीं तो एक बैज चुराने के आरोप में पकड़ी गई थीं पर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। 14 वर्ष की उम्र में उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया था। इसके बाद उन्हें दो बार सजा मिली पर 16 वर्ष की उम्र में उन्होंने दुकानों से चोरी का अपना पूर्णकालिक काम बना लिया। पकड़े जाने से बचने के लिए वे विग्स या मेक-अप का इस्तेमाल करती थीं।   
 
ठीक समय देखकर मैं बहुत सारी चीजें उठा लेती और चली जाती और बाद में सुरक्षा गार्ड्‍स के साथ चाय भी पीती थी। जब कुछेक वर्षों तक मैं ऐसा करती रही तो मेरे रवैये में बदलाव आया और मैंने महसूस किया कि मैं कुछ भी चुरा सकती हूं। एक साथी और वैन की मदद से वे एक बार कुकर चुराने में सफल रही थीं, लेकिन उन्होंने ज्यादातर पैसा डिजाइनर कपड़ों की दुकानों से चोरी से कमाया।
 
वे वाउचर्स या क्रेडिट नोट्‍स के बदले कपड़े दूसरी महिलाओं को बेच देती थीं। इन चीजों को बेचने पर उन्हें आधा कीमत ही मिलती थी लेकिन चोरी करने के ऑर्डर लेने पर भी पैसा कमाती थीं। बीस से अधिक वर्ष की आयु में उनका विवाह हुआ और उन्होंने अपना परिवार शुरू किया। उन्होंने समाचार पत्र से कहा कि जब उनकी तीन बड़ी बेटियां 12 वर्ष की हुईं तो उन्होंने उन्हें भी इस काम में लगा दिया।   
 
किम का कहना है कि वह प्रति माह सात हजार पौंड की वस्तुएं चुरा रही थीं और अपने साथियों को बांटने के बाद वे प्रति वर्ष 50 हजार पौंड ले जाती थीं। आपराधिक रिकॉर्ड के चलते उन्हें कोई काम मिल नहीं सकता था। फिलहाल उन्हें प्रति पखवाड़े डिसएबिलिटी लिविंग अलाउंस के तौर पर 120 पौंड, चाइल्ड बेनिफिट के तौर पर प्रति सप्ताह 20 पौंड और चाइल्ड टैक्स क्रेड्‍टिस के 58 पौंड की राशि मिलती है। अपने परिवार की मदद के लिए उन्होंने अपराध किए और उनकी शादी भी टूट गई। जब उन्हें एक बार जेल भेजा गया तो उनकी तीन बड़ी बेटियों को उनके पिता के पास रहने के लिए भेज दिया गया। फैरी का कहना है कि उनके नाम पर चोरियों के 50 से ज्यादा आरोप लगे, लेकिन उनका कहना है कि यह उनकी कारगुजारियों का करीब एक फीसदी हिस्सा है।  
 
जब वे अंतिम बार जेल गई तो पैरिस मात्र छह सप्ताह की थी। पर जिस ‍दिन उन्हें छह सप्ताह की सजा से छोटा गया था, वे अधिकाधिक चोरियां करने में सक्रिय हो गईं। वे पैरिस के लिए अपने तौर तरीके बदल रही हैं और वे अपनी जीवन शैली भी बदलने नहीं जा रही हैं। वे तीन बार ब्रेस्ट की प्लास्टिक सर्जरी करा चुकी हैं, लक्जरी छुट्‍टियां बिता चुकी हैं, डिजाइनर कपड़े पहनती हैं, नियमित तौर पर ब्यूटी ट्रीटमेंट के लिए जाती हैं और बाहर खाना खाने जाती हैं। उनका कहना है कि वे वैध रोजगार नहीं चाहती हैं। पर अगर उन्हें कोई काम नहीं मिला तो वे चोरियां करने के लिए बाध्य होंगी। उनका कहना है कि सरकार को लोगों के अपराध रोकने के लिए सहायता की राशि को बढ़ा देना चाहिए।  
 
उनका कहना है कि ऐसा और कोई तरीका नहीं है, जिससे कि मैं अपनी जीवनशैली को बरकरार रख सकूं। पर अगर सरकार सोचती है कि लोग केवल सरकारी सहायता पर ही जीवित रह सकते हैं और कुछ और नहीं करेंगे तो वह अवैध काम करे बिना नहीं रहेंगे।  
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