नई दिल्ली। एक नए अध्ययन में पता चला है कि कोविड-19 (Covid-19) के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती एक तिहाई से ज्यादा मरीजों में बीमार पड़ने के छह महीनों तक कम से कम एक लक्षण बना रहता है। दरअसल, इस संबंध में लैंसट जर्नल में एक अध्ययन प्रकाशित हुआ है।
शोधकर्ताओं ने कोरोनावायरस (Coronavirus) संक्रमण की चपेट में आए 1733 मरीजों में संक्रमण से पड़ने वाले दीर्घकालिक असर का अध्ययन किया। अध्ययन में चीन के जिन यिन तान अस्पताल के शोधकर्ता शामिल थे और इन लोगों ने मरीजों में लक्षण और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी के लिए एक प्रश्नावली पर आमने सामने बात की।
शोधकर्ताओं के अनुसार सभी में जो एक सामान्य दिक्कत मौजूद थी वह थी मांसपेशियों में कमजोरी (63 प्रतिशत लोगों में) इनके अलावा एक और बात सामने आई कि लोगों को सोने में दिक्कत हो रही है (26प्रतिशत लोगों को)। उन्होंने कहा कि 23 प्रतिशत लोगों में बेचैनी और अवसाद के लक्षण पाए गए।
अध्ययन में यह भी बात सामने आई कि ऐसे मरीज जो अस्पताल में भर्ती थे और जिनकी हालत गंभीर थी, उनके फेफड़ों में गड़बड़ी पाई गई। वैज्ञानिकों का मानना है कि लक्षण दिखाई देने के छह माह बाद यह अंग के क्षतिग्रस्त होने का संकेत हो सकता है।
चीन-जापान फ्रेंडशिप हॉस्पिटल इन चाइना में नेशनल सेंटर फॉर रेस्पिरेटरी मेडिसिन में अध्ययन के सह-लेखक गिन काओ ने कहा कि हमारे विश्लेषण से संकेत मिलता है कि अधिकांश रोगियों में अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद भी संक्रमण के कुछ प्रभाव रहते हैं और यह अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद काफी देखभाल किए जाने की जरूरत को रेखांकित करता हैं, खासतौर पर उन लोगों को जो काफी बीमार थे। (भाषा)