वर्ष 2050 में इस तरह लड़ा जाएगा युद्ध...

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अमेरिका रक्षा विभाग, आर्मी रिसर्च लैब, इंस्टीट्‍यूट फॉर डिफेंस एनालिसिस और विश्व प्रसिद्ध शिक्षा संस्थानों के जानकारों ने एक रिपोर्ट तैयार की है जिसमें बताया गया है कि आने वाले दशकों में, वर्ष 2050 में, युद्धकौशल क्या रूप होगा?

रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि आसमान में अपनी योग्यता दिखाने का जिम्मा रोबोट्‍स का होगा जबकि जमीन पर तकनीकी रूप से अत्याधुनिक सुपरसोल्जर्स मैदान पर सक्रिय होंगे। वर्ष 2050 में सामरिक ग्राउंड बैटलफील्ड की कल्पना को साकार करते हुए इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इन निष्कर्षों तक पहुंचने के लिए एक वर्कशॉप आयोजित की गई थी।

भविष्य की ऐसी दुनिया की कल्पना करते हुए बताया गया है कि आसमान में दुश्मनों के लक्ष्‍यों को नष्ट करने के लिए सशस्त्र ड्रोन पेट्रोलिंग करेंगे। वर्तमान सैन्य परिदृश्य में ड्रोनों का बड़े पैमाने पर उपयोग यह बताने के लिए पर्याप्त है कि हमेशा की तरह ट्रिगर दबाने का काम मनुष्य ही करेंगे। रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख है कि भविष्य के स्मार्ट रोबोट्‍स पर सैनिकों का सीमित नियंत्रण होगा और एक प्रक्रिया को पूरा करने के लिए मानवीय निर्णय एक वांछित सकारात्मक कदम होगा।

बाद के एक घटनाक्रम के तौर पर मनुष्य केवल वही व्यवहार देख सकता है जो कि ‍घटित हो रहा है, लेकिन वह कार्रवाई तभी कर सकता है जबकि संभावित व्यवहार का पूर्वानुमान या तथ्‍य उसके सामने होगा। चूंकि युद्ध का एक बड़ा भाग आसमान में लड़ा जा रहा होगा इसलिए जमीन पर मनुष्यों की मौजूदगी की जरूरत कम हो जाएगी। लेकिन युद्ध की सबसे पहले की पंक्ति पर वे मनुष्य होंगे तकनीकी तौर पर बहुत आधुनिक होंगे। निश्चित रूप से उनकी तुलना में जो आधुनिक युद्धकौशल में आगे रहते हैं।

रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है कि इन मनुष्यों की शारीरिक और मानसिक तौर पर क्षमता बढ़ी हुई होगी और इन्हें उन क्षमताओं से लैस किया जाएगा जिनके चलते वे अपने पर्यावरण का अनुभव करने की क्षमता में सुधार करेंगे, अपने पर्यावरण का तार्किक अर्थ निकाल सकेंगे और एक दूसरे के साथ मिलकर काम कर सकेंगे।'
इस मुकाबले में और क्या भूमिका होगी मनुष्यों की... पढ़ें अगले पेज पर....

ये ड्रोन ही एक दूसरे का शिकार कर सकेंगे, लेकिन इस मुकाबले में मनुष्यों की भूमिका एक निर्णायक की होगी। इस लड़ाई में परिवर्तनों की उपयोगिता तकनीकी उन्नति की होगी ताकि रोबोट्‍स को आदमियों का साथी बनाने में मदद मिलेगी।

रिपोर्ट में इस बात को जोर देकर कहा गया है कि 'इन सुपर ह्यूमन्स (महामानवों) में एक्सोस्केल्टन्स (एक सख्त बाहरी आवरण या बहिर्कंकाल होंगे जो कि अंदरूनी शरीर को सुरक्षित रखने का काम करेंगे) होंगे जिनमें कई प्रकार के टिशूज या बाहरी कृत्रिम वस्तुओं को भी लगाया जा सकेगा, जिनके चलते इनकी अनुभव करने की निर्बाध क्षमता और संज्ञानात्मक क्षमताएं बहुत अधिक विकसित होंगी। वर्ष 2050 तक युद्धभूमि में सुपर ह्यूमन्स की मौजूदगी की बहुत सारी संभावनाएं हैं क्योंकि इस तरह के विकास के लिए जिन विभिन्न घटकों की आवश्यकता होगी वे पहले से ही मौजूद हैं या उनका तेजी से विकास हो रहा है।'

'इस तरह के सुपर ह्यूमन्स जेनेटिक इंजीनियरिंग का परिणाम भी हो सकते हैं जिनकी शारीरिक क्षमताएं, महसूस करने की योग्यताएं और संज्ञानात्मक शक्तियां बहुत अधिक विकसित होंगी। एक ओर जहां तकनीक के बल पर सैनिकों को घातक धार हासिल होगी, वहीं वे दुश्मनों के आक्रमणों के मुकाबले कमजोर और असुरक्षित भी साबित हो सकते हैं।'

इस रिपोर्ट में दुश्मन ताकतों द्वारा बायोफिजिकल सिग्नल्स पर नजर रखने की कोशिश या सुपरसोल्जर्स की निर्णय लेने की क्षमताओं को भी प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि यह भी हो सकता है कि विरोधी इस तरह की रणनीति अपना सकते हैं।
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