पश्चिमोत्तर पाकिस्तान के एक मौलवी ने गैरसरकारी संगठनों को चेतावनी दी है कि कोहिस्तान क्षेत्र में काम करने के लिए किसी महिला कर्मचारी को नहीं भेजा जाए अन्यथा उसकी शादी स्थानीय पुरुष से कर दी जाएगी।
न्यूज डेली की खबर के अनुसार संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली के पूर्व सदस्य मौलाना अब्दुल हलीम ने खबर पख्तूनखवा प्रांत के कोहिस्तान जिले में एक मस्जिद में शुक्रवार की नमाज के दौरान यह चेतावनी दी।
हलीम के हवाले से अखबार ने लिखा कि कोहिस्तान के लोग महिलाओं द्वारा प्रभावित नहीं हो सकते और एनजीओ को कोहिस्तान में महिलाओं को भेजने की कवायद तत्काल प्रभाव से बंद कर देनी चाहिए अन्यथा नतीजों के लिए तैयार रहना चाहिए।
मौलाना ने दावा किया कि महिलाओं की धर्मनिरपेक्ष शिक्षा इस्लामी संदेशों के खिलाफ है। यदि कोई शिक्षित महिला यदि नौकरी करती है तो इस्लाम इसकी किसी तरह इजाजत नहीं देता। मौलवी ने शिक्षा विभाग को भी आगाह किया कि कोहिस्तान में लड़कियों के स्कूल बंद किए जाए।
जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के प्रमुख समी-उल-हक के शिक्षक रहे हलीम ने अतीत में कहा था कि कोहिस्तान में महिलाओं के साथ काम करने की इच्छा रखने वाले संगठनों को उचित चैनलों के जरिये आना चाहिए और सरकारी विभागों का इस्तेमाल करना चाहिए।
हलीम ने एनजीओ के खिलाफ नहीं होने का दावा करते हुए कहा कि कोहिस्तान के लोग जिले में काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों के पुरुष स्टाफ को संरक्षण और आसरा प्रदान करेंगे। (भाषा)