'महिलाओं की स्थिति सुधार रहा भारत'

Webdunia
बुधवार, 28 अक्टूबर 2009 (11:37 IST)
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संयुक्त राष्ट्र की एक सर्वोच्च अधिकारी ने भारत को एक उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत करते हुए कहा है कि देश की सरकार अपनी आबादी के आधे हिस्से यानी महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए कड़े प्रयास कर रही है।

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि विश्व भर में बहुत सी ऐसी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएँ हैं, जो महिलाओं को समाज में समानता का अधिकार दिलाने से रोकती हैं।

संयुक्त राष्ट्र की धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी विशेष दूत अस्मां जहाँगीर ने पत्रकारों से कहा ‘आपको भारत जैसे देश भी मिलेंगे, जहाँ पारंपरिक मान्यताएँ हैं, लेकिन फिर भी वहाँ की महिलाओं को समानता का अधिकार मिल रहा है।’

पाकिस्तान की एक जानी-मानी वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता अस्मां ने कहा ‘इसका यह मतलब नहीं है कि उनके सामने परेशानियाँ नहीं हैं..लेकिन इसका मतलब है कि कुछ आशाएँ हैं कि महिलाओं को आगे आशा मिलेगी।’

दूसरी ओर इसी दौरान भारत वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम के ‘द ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2009’ की रैंकिंग में अपने पिछले स्थान से एक स्थान नीचे पहुँच गया है। भारत को 134 देशों में से 114वाँ स्थान मिला है।

रैंकिंग के तहत महिलाओं और पुरुषों के बीच संसाधन और अवसरों के वितरण का परीक्षण होता है।

इस बात पर जोर देते हुए कि किसी भी समाज में ‘वास्तविक समानता नहीं’ है, अस्मां ने कहा कि कई देश विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से महिलाओं को मुख्यधारा में ला रहे हैं।

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