मिस्र में बेकारी से बगावत

Webdunia
PTI
मिस्र में हालात दिनों-दिन बदतर होते जा रहे हैं। यह बात केवल मिस्र नहीं, बल्कि अन्य उन देशों पर भी लागू होती जा रही है जहाँ तानाशाही है। महँगाई और बेरोजगारी के कारण भी इन आंदोलनों में भाग लेने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। समस्या यह है कि बड़े देशों की तरफ सभी का ध्यान जा रहा है, पर ऐसे भी देश हैं जिनका क्षेत्रफल काफी छोटा है और जहाँ लोकतंत्र के लिए बगावत होने के बाद उग्रवादी संगठनों द्वारा कब्जा करने की संभावना जताई जा रही है।

* मिस्र के राष्ट्रपति होस्नी मुबारक को उम्मीद थी कि उनकी नई सरकार प्रदर्शनकारियों को समझाने में कामयाब होगी कि सरकार राजनीतिक सुधारों के लिए प्रतिबद्घ है। पर, सड़कों पर उतरे लोग इसे मानने को तैयार नहीं हैं।
* काहिरा के तहरीर चौराहे पर हजारों की संख्या में मौजूद मिस्रवासियों का कहना है हम इसलिए मर नहीं रहे हैं कि राष्ट्रपति सिर्फ अपना कैबिनेट बदल दें। हम असली लोकतंत्र चाहते हैं, जहाँ राष्ट्र्रपति के अधिकार सीमित हों।
* यही बात कई और लोग भी कह रहे हैं। छात्रों का कहना है कि लोग राष्ट्र्रपति, सरकार और भ्रष्टाचार के खिलाफ उठ खड़े हुए हैं।
* मिस्र में सालों तक एक ही दल की सरकार होने के कारण विपक्ष कमजोर है। निजी और वैचारिक कारणों से भी विपक्ष बँटा हुआ है।
* अगर मिस्र में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव हों, तो आम तौर पर माना जाता है कि इस्लामिक पार्टी 'मुस्लिम ब्रदरहुड' को व्यापक समर्थन मिलेगा।
* राष्ट्रपति मुबारक अपनी सरकार की आलोचनाओं के जवाब में इस्लामी क्रांति का हौवा खड़ा करके अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों को डराते रहे हैं।

क्या है मुस्लिम ब्रदरहुड : मुस्लिम ब्रदरहुड हाल के प्रदर्शनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा नहीं ले रहा है। लेकिन उसके नेता एशाम अल एरियान का कहना है कि पश्चिमी देशों को मिस्र के धार्मिक विश्वासों और आकांक्षाओं का सम्मान करना चाहिए। इस्लाम में लोकतंत्र के लिए स्थान है। इस्लाम सत्ता परिवर्तन का समर्थन भी करता है। इस्लाम में समान अधिकार और नागरिकों के कर्तव्यों की बात है और हम एक उदार लोकतांत्रिक राष्ट्र चाहते हैं।

* मिस्र के आशावादी कहते हैं कि अगर कभी स्वतंत्र चुनाव होते हैं तो एक मजबूत लोकतंत्र का जन्म हो सकता है।
* जबकि, निराशावादी कहते हैं कि मौजूदा पुलिस राज के हटने से अव्यवस्था फैल जाएगी और इसका फायदा मिस्र के जिहादी गुट उठा सकते हैं। इन जिहादी गुटों को मुबारक ने अब तक मजबूती से काबू में रखा है।
* सत्तारूढ़ पार्टी के बाद देश में एकमात्र संगठित राजनीतिक संगठन "मुस्लिम ब्रदरहुड" है और वे किसी भी स्वतंत्र चुनाव में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।
* जिहादियों से विपरीत "मुस्लिम ब्रदरहुड" नहीं मानता कि वे पश्चिम के साथ युद्घ जैसी स्थिति में हैं। वह एक रूढ़ीवादी, नरमपंथी और अहिंसक गुट है।
* 'मुस्लिम ब्रदरहुड' मध्य-पूर्व में पश्चिमी नीतियों का कटु आलोचक रहा है।

राजनीतिक स्थिति
* पूर्व में लोकतंत्र समर्थकों ने संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था के पूर्व प्रमुख मोहम्मद अल बोरदोलोई को समर्थन दिया था। उनका कहना था कि वे बदलाव के दौरान देश के लिए सेक्युलर सरकार का नेतृत्व कर सकते हैं, क्योंकि विश्व स्तर पर उनका सम्मान है।
* बोरदोलोई पिछले साल मिस्र लौटे थे। इसके बाद वे मुबारक सरकार की कड़ी आलोचना करते रहे हैं। बोरदोलोई की आलोचना के बाद कई ऐसे लोग भी वापस राजनीति की तरफ लौटे हैं जो राजनीति छोड़ चुके थे।
* बोरदोलोई ने कहा कि मुस्लिम ब्रदरहुड एक राजनीतिक पार्टी है। उनके साथ मिलकर काम करना चाहिए। नेशनल एसोसिएशन फॉर चेंज के तहत मिस्र में कई दल एक साथ आए हैं।
* बोरदोलोई का कहना है कि राष्ट्र्रपति बहुत समय तक सत्ता में बने नहीं रह सकेंगे! सिर्फ एक ही उपाय है कि वे लोगों की बात सुनें। इसका सिर्फ राजनीतिक समाधान ही संभव है।
* भविष्य के नेता के रूप में अरब लीग के प्रमुख रहे अम्र मूसा का नाम भी सामने आया है जो पूर्व में मिस्र के विदेश मंत्री रह चुके हैं।

होस्नी की हैसिय त
* मिस्र के राष्ट्रपति होस्नी मुबारक पश्चिमी ताकतों और अरब नेताओं के बीच गठबंधन के केंद्रीय स्तंभ रहे हैं। उनके बिना ये गठबंधन कायम नहीं रह सकता।
* मुबारक एकमात्र अरब नेता हैं, जिन पर इसराइल भरोसा करता है। इसराइल को डर है कि मुबारक के बिना शांति खतरे में पड़ जाएगी।
* मुबारक 30 साल से मध्य-पूर्व में पश्चिम हेतु अहम व्यक्ति रहे हैं।
* मानवाधिकारों के खराब रिकॉर्ड, संदेहास्पद चुनाव, हर तरह के राजनीतिक विरोध को दबाने और बेकाबू भ्रष्टाचार के बावजूद मिस्र को अमेरिका से आर्थिक सहायता मिलती रही है।
* मुबारक को ब्रिटेन और अन्य योरपीय देशों से भी राजनीतिक समर्थन मिलता रहा है।

उत्तराधिकारी का सवा ल
* मुबारक के बाद जनरल उमर सुलेमान मिस्र के सबसे ताकतवर व्यक्ति हैं।
* मुबारक 80 साल के हो गए हैं और उनके सहयोगी पहले से ही इस बात पर विचार कर रहे थे कि उनके बाद क्या किया जाएगा!
* सहयोगियों को पूर्वानुमान था कि मुबारक मौजूदा मिस्र की व्यवस्था से बिना ज्यादा छेड़छाड़ किए अपना उत्तराधिकारी चुन लेंगे!
* उत्तराधिकारी के लिए मुबारक के बेटे जमाल और खुफिया विभाग के प्रमुख जनरल उमर सुलेमान के नाम सामने थे। लेकिन, लोगों को मुबारक की तरह उनके बेटे से भी नफरत है।
* जनरल उमर सुलेमान वर्षों से मिस्र में दूसरे सबसे ताकतवर व्यक्ति रहे हैं। वे मिस्र के लिए अमेरिका, इसराइल और सऊदी अरब के बीच प्रमुख संपर्क सूत्र रहे हैं।
* जन आंदोलन को देखते हुए मुश्किल लग रहा है कि वर्तमान व्यवस्था मुबारक के जाने के बाद बच पाएगी।

आईएमएफ की चेतावनी
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने चेतावनी देते हुए कहा है कि मंदी से उबर रही वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए बढ़ती बेरोजगारी और महँगाई बड़ी चुनौती है, जो एक दिन देशों के बीच युद्घ की नौबत भी ला सकती है। आईएमएफ के प्रमुख डोमेनिक स्ट्रास कान ने मिस्र में महँगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार को लेकर सरकार के खिलाफ भड़के व्यापक जनअसंतोष का हवाला देते हुए कहा कि लगातार बढ़ती खाद्य मुद्रास्फीति और ज्यादा खतरनाक स्तर की ओर बढ़ रही है।

मिस्र और ट्यूनीशिया जैसे मुल्कों में इसने सरकार के खिलाफ बगावत की आग भड़का दी है। खासतौर पर गरीब देशों के लिए यह भयावह समस्या बन रही है। लग रहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक बार फिर मंदी जैसे हालात बन रहे हैं। (नईदुनिया)

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