दुनिया के जाने-माने लोगों ने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के बारे में क्या कहा, पढ़ें 10 अनसुने कथन

WD Feature Desk
शनिवार, 28 जून 2025 (15:34 IST)
- सरफराज खान 
 
Sayings of inspirational people on the martyrdom of Hazrat Imam Hussain Alaihissalam: अल्लाह के आख़िरी रसूल हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के नवासे हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम आज भी लोगों के जेहन में बसे हैं और उनके दिलों में हमेशा जिन्दा रहेंगे। हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत को सदियां गुजर गईं, लेकिन उसकी याद आज भी तारोताजा है। दुनिया के जाने-माने लोगों ने उनकी उनके बारे में अपने विचार व्यक्त किए हैं।ALSO READ: हजरत अली कौन थे? जानें कब मनाया जाता है इमाम अली का शहादत दिवस
 
1. किसी ने क्या ख़ूब कहा है- किसी ने क्या ख़ूब कहा है- 
नबियों में मर्तबा है निराला रसूल का 
सानी रसूल का है न साया रसूल का 
बिक जाती कायनात ये हाथों यजीद के 
कर्बला में गर न होता नवासा रसूल का।
 
2. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा- 'मैंने हुसैन से सीखा कि मजलूमियत में किस तरह जीत हासिल की जा सकती है। इस्लाम की बढ़ोतरी तलवार पर निर्भर नहीं करती, बल्कि हुसैन के बलिदान का एक नतीजा है, जो एक महान संत थे।'
 
3. कवि और साहित्यकार रवींद्र नाथ टेगौर ने कहा- 'इंसाफ़ और सच्चाई को जिन्दा रखने के लिए फ़ौजों या हथियारों की जरूरत नहीं होती है। क़ुर्बानियां देकर भी फ़तेह हासिल की जा सकती है, जैसे इमाम हुसैन ने कर्बला में हासिल की।'
 
4. देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा- 'इमाम हुसैन की क़ुर्बानी तमाम गिरोहों और सारे समाज के लिए है और यह क़ुर्बानी इंसानियत और भलाई की एक अनोखी मिसाल है।'
 
5. देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा- 'इमाम हुसैन की क़ुर्बानी किसी एक मुल्क या क़ौम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह असीमित है।' 
 
6. देश के पहले उपराष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन ने कहा- 'अगरचे इमाम हुसैन ने सदियों पहले अपनी शहादत दी, लेकिन उनकी पाक रूह आज भी लोगों के दिलों पर राज करती है।'
 
7. कवयित्री सरोजिनी नायडू ने कहा- 'मैं मुसलमानों को इसलिए मुबारकबाद पेश करना चाहती हूं कि यह उनकी ख़ुशक़िस्मती है कि उनके बीच दुनिया की बड़ी हस्ती इमाम हुसैन पैदा हुए, जो सम्पूर्ण रूप से दुनियाभर की तमाम जातियों और समूहों के दिलों पर राज करते हैं।' 
 
8. एडवर्ड ब्राउन ने कहा- 'कर्बला ख़ूनी सहरा की याद है, जहां अल्लाह के रसूल के नवासे के चारों तरफ़ सगे-संबंधियों की लाशें थीं। यह इस बात को समझने के लिए काफ़ी है कि दुश्मनों की वहशत अपने चरम पर थी और यह सबसे बड़ा ग़म था। भावनाओं पर इस तरह नियंत्रण था कि किसी भी प्रिय की मौत से इमाम हुसैन के क़दम नहीं डगमगाये।'
 
9. लेखक एंटोनी बारा ने कहा- 'मानवता के वर्तमान और अतीत के इतिहास में कोई भी युद्ध ऐसा नहीं है, जिसने इतनी मात्रा में सहानूभूति और प्रशंसा हासिल की है जितनी इमाम हुसैन की शहादत ने कर्बला के युद्ध में हासिल की है। 
 
10. एक स्कॉटिश निबंधकार, इतिहासकार और दार्शनिक थॉमस कार्लाइल ने कहा- 'कर्बला की दुखद घटना से हमें जो सबसे बड़ी सीख मिलती है वह ये है कि इमाम हुसैन और उनके साथियों का ख़ुदा पर अटूट विश्वास था और वे सब मोमिन थे। इमाम हुसैन ने यह दिखा दिया कि सैन्य विशालता ताक़त नहीं बन सकती।
 
(स्टार न्यूज एजेंसी)
 
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