ऑनलाइन वायरस से कैसे निपटें?

Webdunia
वर्ष 2007 में पिछले कई वर्षों की तुलना में ऑनलाइन वायरस के हमले ज्यादा होंगे। इसका दायरा केवल कम्प्यूटर के कुछ सॉफ्टवेयर्स तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि खुलने वाली वेबसाइट्स और इंटरनेट तक्नालाजी से जुड़ने वाले उपकरण जैसे मोबाइल, प्रिंटर आदि के भी प्रभावित होने की संभावनाएँ बढ़ेंगी। एक एंटी वायरस कंपनी द्वारा हाल ही में वर्ष 2007 में इंटरनेट सिक्योरिटी को होने वाले दस शीर्ष खतरों की सूची जारी की गई है। इनमें वायरस के हमले और साइबर अपराध की संभावनाएँ शामिल हैं।

क्या हैं वर्ष 2007 के : मैकएफी का अध्ययन यह कहता है कि अगले वर्ष ऐसी वेबसाइट्स की संख्या काफी बढ़ जाएगी, जो ई-बिजनेस के बहाने आपके क्रेडिट और डेबिट कार्ड या अकाउंट का पासवर्ड ले लेंगी और उसका दुरुपयोग करेंगी।

* अमूमन टेक्स्ट स्पेम के रूप में आने वाले वायरसों की तुलना में नए वर्ष में इमेज स्पेम्स की संख्या बढ़ जाएगी। ये टेक्स्ट स्पेम की तुलना में तीन गुना बड़े होंगे। गत नवंबर में कुल स्पेम्स में से 40 प्रतिशत इमेज स्पेम थे। इन स्पेम्स के निशाने पर होंगी एमपीईजी फाइल्स, ई-मेलफाइल्स या अन्य मीडिया फाइल्स।

* अध्ययन के मुताबिक वीडियो फाइल्स का ऑनलाइन आदान-प्रदान भी वायरस के खतरे से खाली नहीं रहेगा।

* स्मार्टफोन टेक्नोलॉजी के बढ़ते उपयोग के कारण मोबाइल फोन खतरे के दायरे में रहेंगे। ब्लूटूथ, एसएमएस, इंस्टेंट मैसेजिंग, ई-मेल, वायफाय, यूएसबी, ऑडियो-वीडियो और वेब एक्सेस की सुविधा का उपयोग मोबाइल फोन उपभोक्ता काफी करने लगे हैं। इससे उपकरणों के वायरस के कारण खराब होने का खतरा बना रहेगा। मैकएफी ने हाल ही में ऐसे वायरस को खोजा है, जो मोबाइल फोन पर एसएमएस भेजकर उसे खराब कर देता है।

* वर्ष 2007 में कमर्शियल पोटेंशियल अनवांटेड प्रोग्राम्स (पीयूपी) की संख्या ट्रोजन, की-लोगर्स, पासवर्ड स्टीलर्स, बोट्स और बैकडोर्स जैसे वायरसों के साथ बढ़ जाएगी।

* यूएस फेडरल ट्रेड कमिशन के अनुसार प्रत्येक वर्ष 10 मिलियन अमेरिकी नागरिक ऑनलाइन फ्रॉड के शिकार हो रहे हैं। इसका मूल कारण बैकअप जानकारी या कम्प्यूटर चुराना है। वर्ष 2007 में हैकिंग, एटीएम और लैपटॉप से जानकारी चुराने जैसे अपराध बढ़ जाएँगे। जहाँ जानकारी का आदान-प्रदान किया जाता है वहाँ इस तरह के अपराध होने के खतरे ज्यादा होंगे। यूएसबी, प्रिंटर को दिए गए निर्देश, बौद्धिक संपदा, यूएसबी डिवाइस आदि इस खतरे से नहीं बच पाएँगे।

* बॉट्स नाम का वायरस इंटरनेट रिले चैट (आईआरसी) के मामलों में ज्यादा खतरनाक होता है। इंस्टेंट मैसेजिंग जैसी सुविधाओं के लगातार बढ़ रहे उपयोग के कारण इस वायरस के निशाने पर अधिकांश कम्प्यूटर रहेंगे।

* नए वर्ष में पैरासाइटिक वायरसों की संख्या भी बढ़ जाएगी। ये वायरस आपके कम्प्यूटर पर किसी फाइल में प्रवेश कर जाएँगे। जब आप उस फाइल को खोलेंगे तब वायरस जागृत हो जाएँगे और आपके कम्प्यूटर को खराब कर देंगे।

* 32 बिट के प्लेटफॉर्म पर चलने वाले सॉफ्टवेयर्स पर भी वायरस के हमले बढ़ जाएँगे।

* इस दिसंबर माह में ही मैकएफी ने 140 हमलों की संभावनाएँ जताई हैं। इसे देखते हुए यह निष्कर्ष निकाला गया है कि अगले वर्ष हमलों की संभावनाओं में अधिक वृद्धि होगी।

फायरवॉल जरूरी : इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के प्रो. प्रतोष बंसल बताते हैं कि ई-कॉमर्स के लिए जब भी आप वेबसाइट पर सर्फ करते हैं तो निजी जानकारी के चोरी हो जाने का खतरा हमेशा बना रहता है। ऐसा ही खतरा हर इंटरनेट उपयोगकर्ता को भी रहता है। इसके लिए यह जरूरी है कि कम्प्यूटर पर फायरवॉल और एंटी वायरस लोड किए जाएँ।

ट्रोजन या इमेज स्पेम से बचने के लिए आप किसी भी अपरिचित ई-मेल को न खोलें। कई स्पेम ऐसे होते हैं, जो आपकी रुचि के विषय से संबंधित जानकारी प्रेषित करते हैं। ऐसे ई-मेल खोलनेमें सावधानी बरतना चाहिए। ऑनलाइन खरीदी का उपयोग करने से पहले आप यह सुनिश्चित कर लें कि जिस वेबसाइट पर आप लेन-देन कर रहे हैं, उसका सिक्योरिटी लेवल कैसा है।

ब्लूटूथ को ओपन मोड़ में रखें : कम्प्यूटर विशेषज्ञ श्री गौरव व्यास बताते हैं कि अलग-अलग तरह के वायरसों से निपटने के लिए लोगों में जागरूकता लाना बहुत जरूरी है। आज दस इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में से केवल एक या दो उपयोगकर्ता ही अपने कम्प्यूटर पर फायरवॉल का इस्तेमाल करते हैं, जबकि हर कम्प्यूटर पर फायरवॉल का होना आवश्यक है।

वे बताते हैं कि संपर्क के माध्यमों में आज इंटरनेट का उपयोग सबसे ज्यादा बढ़ रहा है। जहाँ तक ई-बिजनेस का प्रश्न है, ऐसी वेबसाइट्स का ही उपयोग करें जिनका सिक्योरिटी लेवल अच्छा हो। स्मार्टफोन टेक्नोलॉजी पर होने वाले हमलों से बचने के लिए ब्लूटूथ या अन्य कोई तकनीक को हमेशा ओपन मोड में न रखें। उपयोग के तुरंत बाद उसे डिसएबल कर दें।

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