सुरक्षा बड़ा सवाल, कैसे पूरा होगा डिजिटल इंडिया का सपना

Webdunia
शुक्रवार, 10 जुलाई 2015 (16:49 IST)
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डिजिटल इंडिया का जो सपना देखा है उसके क्रियान्वयन की ओर एक मजबूत कदम उठाया जा चुका है। मोदी सरकार का मानना है कि डिजिटल इंडिया से देश की तस्वीर बदल सकती है। देखते ही देखते इस पर 450 लाख करोड़ के निवेश का ऐलान भी हो गया।

इस बात से इनकार भी नहीं किया जा सकता कि इससे भारत की दशा और दिशा दोनों बदल सकती है लेकिन उनकी राह में सबसे बड़ा सवाल सुरक्षा का है।
 
अमेरिका में हाल ही हुए एक साइबर हमले में हैकरों ने अमेरिका के सरकारी कम्प्यूटर्स हैक कर 2.1 करोड़ से अधिक लोगों के सामाजिक सुरक्षा पहचान नंबर और अन्य अत्यंत संवेदनशील आंकड़े चुरा लिए। हैकरों ने लोगों की आपराधिक, वित्तीय, स्वास्थ्य, रोजगार और आवास संबंधी जानकारी के अलावा उनके परिवार और संबंधियों के बारे में भी जानकारी चुराई है।
 
यह घटना भारत सरकार के कान खड़े करने के लिए पर्याप्त है। यहां साइबर सुरक्षा के नाम पर न तो बहुत बड़ा नेटवर्क है, न इनमें काम करने वाले कर्मचारियों को अमेरिका जैसी सुविधा मिलती है। 
 
डिजिटल इंडिया योजना का मुख्य उद्देश्य देश के प्रत्येक व्यक्ति को इंटरनेट से जोड़ना और ताकि वह घर बैठे या आसानी से अपने दस्तावेजों का आदान-प्रदान कर सके। इससे समय और पैसे दोनों की बचत होगी।
अगले पन्ने पर, यह व्यवहारिक परेशानी... 
 
 

पर समस्या यह है कि आम आदमी भारतीय तो अभी ठीक तरह से कंप्यूटर चलाना ही नहीं जानता। वह कम्प्यूटर फ्रेंडली तो है पर उसे एंटी वायरस जैसे सुरक्षा चक्रों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। इंटरनेट महंगा होने के कारण उसके पास इसे चलाने के लिए पर्याप्त स्पीड भी नहीं है।
ऑनलाइन फॉर्म भरने के लिए उसे कियोस्क जाना पड़ता है तो ऑनलाइन खाता उसे समझ नहीं आता, वह कम्प्यूटर को समझने के लिए या तो ऑनलाइन जानकारी लेता है अथवा अपने किसी दोस्त या परिचित का सहारा लेता है। ऐसी स्थ‍िति में उसे आसानी से धोखा दिया जा सकता है।
 
कम्प्यूटर पर तो फिर भी बातें थोड़ी बहुत समझ में आ जाती है पर डिजिटल इंडिया का वाहक कहे जाने वाला स्मार्टफोन तो अभी बहुत से लोगों तक अपनी पहुंच भी नहीं बना सका है। कई लोगों ने इसे ले लिया है, उन्होंने इस पर कई ऐप भी डाउनलोड कर लिए हैं पर उनका सही उपयोग वे नहीं जानते। इस टच स्क्रीन मोबाइल का इसके काम करने का तरीका भी इतना तेज होता है कि आम आदमी को समझ ही नहीं आता। वह तब ठगा सा रह जाता है जब उसे पता चलता है कि वह काम भी हो गया, जो करना ही नहीं चाहता था।
 
देश में ऑनलाइन धोखाधड़ी बहुत आम है। इसकी शिकायत करना आसान नहीं है। शहरी तो फिर भी किसी तरह इसके खिलाफ शिकायत दर्ज करवा देते हैं पर गांव में रहने वाले तो केवल हाथ ही मलते रह जाते हैं। उन्हें कही सही तरह से जवाब तक नहीं मिलता।
 
जब अमेरिका जैसे विकसित देश को हैकर्स इतनी आसानी से चूना लगा देते हैं तो भारत से डाटा चुराना उनके लिए इतना मुश्किल नहीं होगा। अत: डिजिटल इंडिया से पहले देश को सुरक्षा का ऐसा जाल बुनना होगा की हैकर्स उसमें उलझ कर रह जाए और हमारा डाटा भी सुरक्षित रहे। 
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