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क्या सच में 'मेटावर्स' है काम का भविष्य, जुकरबर्ग ने की थी आमूलचूल परिवर्तन की घोषणा

हमें फॉलो करें क्या सच में 'मेटावर्स' है काम का भविष्य, जुकरबर्ग ने की थी आमूलचूल परिवर्तन की घोषणा
, मंगलवार, 25 अक्टूबर 2022 (17:12 IST)
मेलबर्न। मेटा कंपनी के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग के मुताबिक 'मेटावर्स' से हमारी जिंदगी में आमूलचूल परिवर्तन आएगा। उनके मुताबिक यह 'समाविष्ट इंटरनेट' है जिसमें केवल सामग्री को आप देख ही नहीं सकते बल्कि उसे महसूस भी कर सकते हैं। जुकरबर्ग ने अक्टूबर 2021 में जब कंपनी की ओर से मेटावर्स पर आगे बढ़ने की घोषणा की थी।
 
घोषणा के बाद लोगों का मानना था कि क्या यह वह उत्पाद है जिसकी मांग की गई थी और क्या इसकी जरूरत भी है? अब तक मेटा के 'मेटवर्स' प्रौद्योगिकी का मुख्य उत्पाद आभासी वास्तविकता वाला मैदान है जिसे 'होराइजन वर्ल्ड' नाम दिया गया है। जुकरबर्ग ने अक्टूबर 2021 में जब कंपनी की ओर से मेटावर्स पर आगे बढ़ने की घोषणा की थी तब लोगों का मानना था कि क्या यह वह उत्पाद है जिसकी मांग की गई थी और क्या इसकी जरूरत भी है?
 
हम में से कई लोग आश्चर्य व्यक्त करते हैं कि नई आभासी दुनिया में लोग वास्तव में काम क्या करेंगे? पिछले सप्ताह नए सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर और कारोबारी समझौते के बीच जुकरबर्ग ने उत्तर प्रस्तुत किया कि लोग मेटावर्स में काम करेंगे। हालांकि अब भी सवाल हैं कि यह किसके लिए है? कार्यस्थल पर इन नई प्रौद्योगियों के इस्तेमाल का क्या प्रभाव पड़ेगा? क्या वास्तव में यह उतना ही आकर्षक है जैसा कि मेटा वादा कर रहा है?
 
भविष्य में काम? : पिछले सप्ताह आयोजित मेटा कनेक्ट कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण आभासी और संवर्द्धित वास्तविकता के लिए घोषित क्वेस्ट प्रो हेडसेट था। इसकी कीमत 1,499 डॉलर है और इसमें उपयोगकर्ताओं के आंखों और चेहरे पर नजर रखने की क्षमता सहित कई नई विशेषताएं हैं।
 
क्वेस्ट प्रो का इस्तेमाल बाहर की ओर देखने वाले कैमरे के तौर पर किया जा सकता है जिससे उपयोगकर्ता (डिजिटज माध्यम) अपने आसपास वास्तविक दुनिया को देख सकते हैं। मेटा ने बताया कि इस विशेषता का इस्तेमाल काम के लिए किया जा सकता है। यह ऐसा आभास देता है कि उपयोगकर्ता कई बड़े आभासी स्क्रीन के बीच बैठा है जिसे पूर्व में 'इल्फनिट ऑफिस' के तौर पर जाना जाता था।
 
मेटा ने घोषणा की कि वह माइक्रोसॉफ्ट के साथ काम कर रहा है ताकि ऑफिस और टीम जैसे कारोबारी सॉफ्टवेयर के आभासी संस्करण उपलब्ध कराए जा सकें। इन्हें होराइजन वर्करूम आभासी कार्यालय मंच में समाहित किया जाएगा जिसे अब तक निम्न गुणवत्ता ग्राफिक्स के लिए उपहास का सामना करना पड़ा है।
 
उद्यम बाजार और कंपनियों पर ध्यान केंद्रित करने से सामने आने वाली इन नई प्रौद्योगिकी को समाज में सामान्य बनाया जा सकता है। हालांकि यह वह चीज नहीं है जिसे उपभोक्ता इस्तेमाल करना चाहते हैं बल्कि वह चीज है जिन्हें इस्तेमाल करने के लिए कामगारों को मजबूर किया जाएगा।
 
बॉस की निगरानी वाले सॉफ्टवेयर उन्नत होंगे? : मेटावर्स ने दृष्टिकोण पेश किया है कि कैसे एआर और वीआर जैसी प्रौद्योगिकी हमारे काम में बिना बाधा समाहित होंगे। इससे समृद्धि और कार्यदक्षता बढ़ने के साथ कई चिंताएं भी हैं।
 
वीआर और एआर जैसी प्रौद्योगियों की वजह से कर्मचरियों की निगरानी और नियंत्रण के नए स्वरूप उभरने का खतरा है। कोविड-19 महामारी के दौरान कार्यालय से दूर रहकर काम करने की परिपाटी बढ़ी और इस दौरान 'बॉसवेयर' का विस्तार हुआ। 'बॉसवेयर' नियोक्ताओं के लिए तैयार सॉफ्टवेयर है जिसके जरिए वे कर्मचारियों के हर कदम पर दूर बैठ कर भी नजर रखते हैं।
 
एआर और वीआर जैसी प्रौद्योगिकी उपयोकर्ताओं के बारे में और उनके काम करने के माहौल संबंधी वृहद डाटा संकलित करने पर निर्भर है, ऐसे में निगरानी की परिपाटी और बढ़ सकती है। मेटा का कहना है कि इस तरह का डाटा 'उपकरण तक ही सीमित' रहेगा लेकिन हालिया अनुसंधान में जानकारी मिली है कि तीसरे पक्ष के क्वेस्ट ऐप की पहुंच जरूरत से कहीं ज्यादा डाटा तक होती है।
 
निजता और सुरक्षा : विकासकर्ता को जानकारी मिल रही है और वे इन आभासी और संवर्द्धित उपकरणों और मंचों पर निजता और सुरक्षा पर पड़ने वाले असर को लेकर चिंतित हैं। संयमित सामग्री और व्यवहार भी आभासी जगत में एक मुद्दा है जिससे भेदभाव और असमानता आ सकती है। मेटा ने उत्पीड़न के बढ़ते दावों के बीच अपने उपयोगकर्ताओं की रक्षा के लिए बहुत कम ठोस कदम उठाए हैं।
 
इस साल के शुरुआत में उपभोक्ता समर्थक समूह 'सम ऑफ अस' ने पाया कि होराइजन वर्ल्ड के कई उपयोगकर्ताओं को सुरक्षा प्रदान करने वाले विकल्पों जैसे 'पर्सनल सेफ्टी बब्बल' को अन्य उपयोकर्ताओं द्वारा बंद करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। कार्यस्थल पर सुरक्षा विकल्पों के इस्तेमाल को असमाजिक या टीम का हिस्सा नहीं होने के तौर पर देखा जाता है। यह पहले ही हाशिए पर चल रहे कर्मचारियों पर नकरात्मक असर डाल सकता है।
 
Edited by: Ravindra Gupta(भाषा)

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