तीर्थंकर शांतिनाथ

Webdunia
- प्रस्तुति शताय ु
ND

जैन धर्म के सोलहवें तीर्थंकर शांतिनाथ का जन्म ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की तेरस को इक्क्षवाकू कुल में हुआ। शांतिनाथ के पिता हस्तीनापुर के राजा विश्वसेन थे और माता का नाम अचीरा था।

शांतिनाथ अवतारी थे। उनके जन्म से ही चारों ओर शांति का राज कायम हो गया था। वे शांति, अहिंसा, करूणा और अनुशासन के शिक्षक थे।

शांतिनाथ के संबंध में मान्यता है कि अपने पूर्व जन्म के कर्मों के कारण वे तीर्थंकर हो गए। पूर्व जन्म में शांतिनाथजी एक राजा थे। उनका नाम मेघरथ था। मेघरथ के बारे में प्रसिद्धि थी कि वे बड़े ही दयालु और कृपालु हैं तथा अपनी प्रजा की रक्षा के लिए सदा तत्पर रहते हैं।

एक वक्त उनके समक्ष एक कबूतर आकर उनके चरणों में गिर पड़ा और मनुष्य की आवाज में कहने लगा राजन मैं आपकी शरण में हूँ, मुझे बचा लीजिए। तभी पीछे से एक बाज आकर वहाँ बैठ जाता है और वह भी मनुष्य की आवाज में कहने लगता है कि हे राजन, आप इस कबूतर को छोड़ दीजिए, ये मेरा भोजन है।

राजा ने कहा कि यह मेरी शरण में है। मैं इसकी रक्षा के लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ। तुम इसे छोड़कर कहीं और जाओ। जीव हत्या पाप है तुम क्यों जीवों को खाते हो?

बाज कहने लगता है कि राजन मैं एक माँसभक्षी हूँ। यदि मैंने इसे नहीं खाया तो मैं भूख से मर जाऊँगा। तब मेरे मरने का जिम्मेदार कौन होगा और किसको इसका पाप लगेगा? कृपया आप मेरी रक्षा करें। मैं भी आपकी शरण में हूँ।

धर्मसंकट की इस घड़ी में राजन कहते हैं कि तुम इस कबूतर के वजन इतना माँस मेरे शरीर से ले लो, लेकिन इसे छोड़ दो।

तब बाज उनके इस प्रस्ताव को मान कर कहता है कि ठीक है राजन तराजू में एक तरफ इस कबूतर को रख दीजिए और दूसरी और आप जो भी माँस देना चाहे वह रख दीजिए।

तब तराजू में राजा मेघरथ अपनी जाँघ का एक टुकड़ा रख देते हैं, लेकिन इससे भी कबूतर जितना वजन नहीं होता तो वे दूसरी जाँघ का एक टुकड़ा रख देते हैं। फिर भी कबूतर जितना वजन नहीं हो पाता है तब वे दोनों बाजूओं का माँस काटकर रख देते हैं फिर भी जब कबूतर जितना वजन नहीं हो पाता है तब वे बाज से कहते हैं कि मैं स्वयं को ही इस तराजू में रखता हूँ, लेकिन तुम इस कबूतर को छोड़ दो।

राजन के इस आहार दान के अद्भूत प्रसंग को देखकर बाज और कबूतर प्रसन्न होकर देव रूप में प्रकट होकर श्रद्धा से झुककर कहते हैं, राजन तुम देवतातुल्य हो। देवताओं की सभा में तुम्हारा गुणगान किया जा रहा है। हमने आपकी परीक्षा ली हमें क्षमा करें। हमारी ऐसी कामना है कि आप अगले जन्म में तीर्थंकर हों।

तब दोनों देवताओं ने राजा मेघरथ के शरीर के सारे घाव भर दिए और अंतर्ध्यान हो गए। राजा मेघरथ इस घटना के बाद राजपाट छोड़कर तपस्या के लिए जंगल चले गए।

Show comments

Vrishabha Sankranti 2024: सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश से क्या होगा 12 राशियों पर इसका प्रभाव

Khatu Syam Baba : श्याम बाबा को क्यों कहते हैं- 'हारे का सहारा खाटू श्याम हमारा'

Maa lakshmi : मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तुलसी पर चढ़ाएं ये 5 चीज़

Shukra Gochar : शुक्र करेंगे अपनी ही राशि में प्रवेश, 5 राशियों के लोग होने वाले हैं मालामाल

Guru Gochar 2025 : 3 गुना अतिचारी हुए बृहस्पति, 3 राशियों पर छा जाएंगे संकट के बादल

Weekly Forecast 2024 : साप्ताहिक भविष्‍यफल में जानें 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा नया सप्ताह

Weekly Calendar 2024 : नए सप्ताह के सर्वश्रेष्‍ठ शुभ मुहूर्त, जानें साप्ताहिक पंचांग मई 2024 में

Aaj Ka Rashifal: आज किसे मिलेंगे शुभ समाचार और होगा धनलाभ, जानें 19 मई का राशिफल

19 मई 2024 : आपका जन्मदिन

19 मई 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त