भगवान चंदा प्रभु का निर्वाणोत्सव

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फाल्गुन माह की शुक्ल सप्तमी का मांगलिक दिवस अष्टम जैन तीर्थंकर भगवान चन्दा प्रभु के निर्वाण महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर दिगम्बर जैन मंदिर में प्रतिष्ठित भगवान चन्दा स्वामी की मूल अतिशयकारी प्रतिमा का महामस्तकाभिषेक शांतिधारा कर श्री जी के सम्मुख निर्वाण लाडू समर्पित किए जाते हैं।

जैन धर्म के आठवें तीर्थंकर चंदाप्रभु जी वाराणसी चंद्रपुरी के सम्राट महासेन राजा एवं सुलक्षणा रानी के सुपुत्र थे। आसमान में तड़कती बिजली को देखकर प्रभु के मन में विचार आया कि यह जीवन क्षणभंगुर है। अतएवं इस नश्वर राजपाट को त्याग कर वैराग्य धारण कर आत्म कल्याण करना चाहिए।

राजपाट से वैराग्य धारण करने वाले भगवान चन्दा प्रभु ने श्रावण शुक्ला सप्तमी के पुण्य दिवस सम्मेद शिखर स्थित ललितकूट नामक टोंक से निर्वाण की प्राप्ति किया था।
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