दशलक्षण क्या है? जानिए 10 बातें

अनिरुद्ध जोशी
पर्युषण का अर्थ है परि यानी चारों ओर से, उषण यानी धर्म की आराधना। श्वेतांबर और दिगंबर समाज के पर्युषण पर्व भाद्रपद मास में मनाए जाते हैं। श्वेतांबर के व्रत समाप्त होने के बाद दिगंबर समाज के व्रत प्रारंभ होते हैं। 3 से 10 सितंबर तक श्वेतांबर और 10 सितंबर से दिगंबर समाज के 10 दिवसीय पयुर्षण पर्व की शुरुआत होगी। 10 दिन तक उपवास के साथ ही मंदिर में पूजा आराधना होगी।
 
 
दशलक्षण क्या है?
- श्वेतांबर समाज 8 दिन तक पर्युषण पर्व मनाते हैं जबकि दिगंबर 10 दिन तक मनाते हैं जिसे वे 'दसलक्षण' कहते हैं।
 
- जब श्वेतंबर के समाप्त होते हैं तब दिगंबरों के प्रारंभ होते हैं। पर्युषण पर्व के समापन पर 'विश्व-मैत्री दिवस' अर्थात संवत्सरी पर्व मनाया जाता है।
 
- अंतिम दिन दिगंबर 'उत्तम क्षमा' तो श्वेतांबर 'मिच्छामि दुक्कड़म्' कहते हुए लोगों से क्षमा मांगते हैं।
 
- ये दसलक्षण हैं- क्षमा, मार्दव, आर्नव, सत्य, संयम, शौच, तप, त्याग, आकिंचन्य एवं ब्रह्मचर्य। इसे 'दसलाक्षिणी' पर्व भी कहा गया है। यह संतों के साथ ही गृहस्थों के लिए भी कर्तव्य कहे गए हैं। गृहस्थों को इन 10 दिनों तक दसलक्षण का पालन करना चाहिए।
 
1. क्षमा : अर्थात्‌ उत्तम क्षमा को धारण करने से मैत्रीभाव जागृत होता है। इससे कुटिलताएं समाप्त होकर शत्रुता मिट जाती है।
 
2. मार्दव : अर्थात्‌ उत्तम मार्दव धर्म को धारण करने या अपनाने से मान व अहंकार का मर्दन हो जाता है तब विनम्रता और विश्वास प्राप्त होता।
 
3. आर्जव : अर्थात्‌ उत्तम आर्जव को अपनाने से मन राग-द्वेष से मु‍क्त होकर एकदम निष्कपट हो जाता है। सरल हृदय व्यक्ति के जीवन में ही सुख, शांति और समृद्धि होती है।
 
4. सत्य : अर्थात्‌ जो मन, वचन और कर्म से सत्य को अपनाता है उसकी संसार सागर से मुक्ति निश्चित है।
 
5. शौच : परमशांति हेतु मन को निर्लोभी बनानाना और संतोष धारण करना ही शौच है।
 
6. संयम : संयम धारण करने वाले मनुष्य का जीवन सार्थक तथा सफल है। इससे कई तरह की फिजूल बातों से बचा जा सकता है।
 
7. तप : शास्त्रों में वर्णित बारह प्रकार के तप से जो मानव अपने तन, मन और संपूर्ण जीवन को परिमार्जिन या शुद्ध करता है, उसके जन्म जन्मांतर के पाप कटकर कर्म नष्ट हो जाते हैं।
 
8. त्याग : मन, वचन और कर्म से जो त्याग करता है उसके लिए मुक्ति सुलभ है। त्याग में ही संतोष और शांति का भाव है।
 
9. अंकिचन : जिस व्यक्ति ने अंतर बाहर 24 प्रकार के परिग्रहों का त्याग कर दिया है, वो ही परम समाधि अर्थात्‌ मोक्ष सुख पाने का हकदार है।
 
10. ब्रह्मचर्य : ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले को रिद्धि, सिद्धि, शक्ति और मोक्ष मिलत है।
 
इन दिनों साधुओं के लिए 5 कर्तव्य बताए गए हैं- संवत्सरी, प्रतिक्रमण, केशलोचन, तपश्चर्या, आलोचना और क्षमा-याचना। गृहस्थों के लिए भी शास्त्रों का श्रवण, तप, अभयदान, सुपात्र दान, ब्रह्मचर्य का पालन, आरंभ स्मारक का त्याग, संघ की सेवा और क्षमा-याचना आदि कर्तव्य कहे गए हैं। यह पर्व महावीर स्वामी के मूल सिद्धांत अहिंसा परमो धर्म, जिओ और जीने दो की राह पर चलना सिखाता है तथा मोक्ष प्राप्ति के द्वार खोलता है। इस पर्वानुसार- 'संपिक्खए अप्पगमप्पएणं' अर्थात आत्मा के द्वारा आत्मा को देखो।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Bhagwat katha benefits: भागवत कथा सुनने से मिलते हैं 10 लाभ

Vaishakha amavasya : वैशाख अमावस्या पर स्नान और पूजा के शुभ मुहूर्त

Dhan yog in Kundali : धन योग क्या है, करोड़पति से कम नहीं होता जातक, किस्मत देती है हर जगह साथ

Akshaya tritiya 2024 : 23 साल बाद अक्षय तृतीया पर इस बार क्यों नहीं होंगे विवाह?

Varuthini ekadashi: वरुथिनी एकादशी का व्रत तोड़ने का समय क्या है?

Guru asta 2024 : गुरु हो रहा है अस्त, 4 राशियों के पर्स में नहीं रहेगा पैसा, कर्ज की आ सकती है नौबत

Nautapa 2024 date: कब से लगने वाला है नौतपा, बारिश अच्‍छी होगी या नहीं?

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया की पौराणिक कथा

कालाष्टमी 2024: कैसे करें वैशाख अष्टमी पर कालभैरव का पूजन, जानें विधि और शुभ समय

Aaj Ka Rashifal: राशिफल 01 मई: 12 राशियों के लिए क्या लेकर आया है माह का पहला दिन

अगला लेख