महावीर स्वामी का गर्भ कल्याणक दिवस, जानिए 16 शुभ मंगलकारी स्वप्न

Webdunia
ये हैं माता त्रिशला के 16 शुभ मंगलकारी स्वप्न
 

 
जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के गर्भ कल्याणक दिवस पर भगवान महावीर की अष्टद्रव्य से पूजा-अर्चना करके अभिषेक किया जाएगा। साथ ही विश्व की सुख-समृद्धि एवं शांति की मंगलमयी कामना करते हुए शांतिधारा तथा गर्भ कल्याणक का अर्घ्य भी चढ़ाया जाएगा। 
 
भगवान महावीर के गर्भ कल्याणक दिवस पर पाठकों के लिए प्रस्तुत है विशेष जानकारी... 
 
भगवान महावीर के जन्म से पूर्व एक बार महारानी त्रिशला नगर में हो रही अद्‍भुत रत्नवर्षा के बारे में सोच रही थीं। यह सोचते-सोचते वे ही गहरी नींद में सो गई। उसी रात्रि को अंतिम प्रहर में महारानी ने 16 शुभ मंगलकारी स्वप्न देखें। वो आषाढ़ शुक्ल षष्ठी का दिन था। रानी त्रिशला ने गर्भस्थिति में यह मंगलकारी शुभ स्वप्न देखें। सुबह जागने पर रानी के महाराज सिद्धार्थ से अपने स्वप्नों की चर्चा की और उसका फल जानने की इच्छा प्रकट की।
 
राजा सिद्धार्थ एक कुशल राजनीतिज्ञ के साथ ही ज्योतिष शास्त्र के भी विद्वान थे। उन्होंने रानी से कहा कि एक-एक कर अपना स्वप्न बताएं। वे उसी प्रकार उसका फल बताते चलेंगे। तब महारा‍नी त्रिशला ने अपने सारे स्वप्न उन्हें एक-एक कर विस्तार से सुनाएं।
 
आगे पढ़ें महावीर स्वामी के जन्म से पूर्व महारानी त्रिशला द्वारा देखें गए 16 अद्भुत स्वप्न -
 
 

 


1. रानी ने पहला स्वप्न बताया : स्वप्न में एक अति विशाल श्वेत हाथी दिखाई दिया।
- ज्योतिष शास्त्र के विद्वान राजा सिद्धार्थ ने पहले स्वप्न का फल बताया : उनके घर एक अद्भुत पुत्र-रत्न उत्पन्न होगा।
 
2. दूसरा स्वप्न : श्वेत वृषभ।
- फल : वह पुत्र जगत का कल्याण करने वाला होगा।
 
3. तीसरा स्वप्न : श्वेत वर्ण और लाल अयालों वाला सिंह।
- फल : वह पुत्र सिंह के समान बलशाली होगा।
 
4. चौथा स्वप्न : कमलासन लक्ष्मी का अभिषेक करते हुए दो हाथी।
- फल : देवलोक से देवगण आकर उस पुत्र का अभिषेक करेंगे।
 
5. पांचवां स्वप्न : दो सुगंधित पुष्पमालाएं।
- फल : वह धर्म तीर्थ स्थापित करेगा और जन-जन द्वारा पूजित होगा।
 
6. छठा स्वप्न : पूर्ण चंद्रमा।
- फल : उसके जन्म से तीनों लोक आनंदित होंगे।
 
7. सातवां स्वप्न : उदय होता सूर्य।
- फल : वह पुत्र सूर्य के समान तेजयुक्त और पापी प्राणियों का उद्धार करने वाला होगा।
 
8. आठवां स्वप्न : कमल पत्रों से ढंके हुए दो स्वर्ण कलश।
- फल : वह पुत्र अनेक निधियों का स्वामी निधि‍पति होगा।
 
9. नौवां स्वप्न : कमल सरोवर में क्रीड़ा करती दो मछलियां।
- फल : वह पुत्र महाआनंद का दाता, दुखहर्ता होगा।
 
10. दसवां स्वप्न : कमलों से भरा जलाशय।
- फल : एक हजार आठ शुभ लक्षणों से युक्त पुत्र प्राप्त होगा।
 
11. ग्यारहवां स्वप्न : लहरें उछालता समुद्र।
- फल : भूत-भविष्य-वर्तमान का ज्ञाता केवली पुत्र।
 
12. बारहवां स्वप्न : हीरे-मोती और रत्नजडि़त स्वर्ण सिंहासन।
- फल : आपका पुत्र राज्य का स्वामी और प्रजा का हितचिंतक रहेगा।
 
13. तेरहवां स्वप्न : स्वर्ग का विमान।
- फल : इस जन्म से पूर्व वह पुत्र स्वर्ग में देवता होगा।
 
14. चौदहवां स्वप्न : पृथ्वी को भेद कर निकलता नागों के राजा नागेन्द्र का विमान।
- फल : वह पुत्र जन्म से ही त्रिकालदर्शी होगा।
 
15. पन्द्रहवां स्वप्न : रत्नों का ढेर।
- फल : वह पुत्र अनंत गुणों से संपन्न होगा।
 
16. सोलहवां स्वप्न : धुआंरहित अग्नि।
- वह पुत्र सांसारिक कर्मों का अंत करके मोक्ष (निर्वाण) को प्राप्त होगा।

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

तुलसी विवाह देव उठनी एकादशी के दिन या कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन करते हैं?

Shani margi 2024: शनि के कुंभ राशि में मार्गी होने से किसे होगा फायदा और किसे नुकसान?

आंवला नवमी कब है, क्या करते हैं इस दिन? महत्व और पूजा का मुहूर्त

Tulsi vivah 2024: देवउठनी एकादशी पर तुलसी के साथ शालिग्राम का विवाह क्यों करते हैं?

Dev uthani ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी पर भूलकर भी न करें ये 11 काम, वरना पछ्ताएंगे

सभी देखें

धर्म संसार

MahaKumbh : प्रयागराज महाकुंभ में तैनात किए जाएंगे 10000 सफाईकर्मी

10 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

10 नवंबर 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

Tulsi vivah 2024: तुलसी विवाह के दिन आजमा सकते हैं ये 12 अचूक उपाय

Dev uthani gyaras 2024 date: देवउठनी देवोत्थान एकादशी व्रत और पूजा विधि

अगला लेख