Mahavir jayanti 2023 : महावीर स्वामी के जन्म की 5 रहस्यमय बातें

Webdunia
मंगलवार, 4 अप्रैल 2023 (11:26 IST)
जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी जैन धर्म के संस्थापक नहीं प्रतिपादक थे। उन्होंने श्रमण संघ की परंपरा को एक व्यवस्थित रूप दिया। उन्होंने 'कैवल्य ज्ञान' की जिस ऊंचाई को छुआ था वह अतुलनीय है। उनके उपदेश हमारे जीवन में किसी भी तरह के विरोधाभास को नहीं रहने देते हैं। आओ जानते हैं उनके जन्म की 5 खास बातें।
 
1. जन्म समय : भगवान महावीर का जन्म 27 मार्च 598 ई.पू. अर्थात 2621 वर्ष पहले हुआ था। उस वक्त चैत्र माह की शुक्ल त्रयोदशी थी। गर्भ तिथि अषाड़ शुक्ल षष्ठी (शुक्रवार 17 ई.पू. 599) और गर्भकाल 9 माह 7 दिन 12 घंटे।
 
2. जन्म स्थान : वैशाली गणतंत्र के कुंडलपुर में उनका जन्म हुआ था। कुंडलपुर बिहार के नालंदा जिले में स्थित है। यह स्थान पटना से यह 100 ‍किलोमीटर और बिहार शरीफ से मात्र 15 किलोमीटर दूर है। इस स्थान को जैन धर्म में कल्याणक क्षेत्र माना जाता है।
 
3. जन्म कुल : महावीर स्वामी जंत्रिक कुल से संबंधित थे। उनका वर्ण क्षत्रिय था। मान्यता के अनुसार वे पार्श्वनाथ संप्रदाय से थे। उनके पिता कुंडलपुर के राजा थे जिनका नाम सिद्धार्थ था। उनकी माता त्रिशला (प्रियकारिणी) लिच्छवि राजा चेटकी की पुत्र थीं। वे अपने माता पिता की तीसरी संतान थे। वर्धमान के बड़े भाई का नाम था नंदीवर्धन व बहन का नाम था सुदर्शना। उनका जन्म नाम वर्धमान है। राजकुमार वर्धमान के माता-पिता श्रमण धर्म के पार्श्वनाथ सम्प्रदाय से थे। महावीर को 'वीर', 'अतिवीर' और 'सन्मति' भी कहा जाता है। 
4. जन्म से पूर्व माता ने देखे शुभ स्वप्न : प्राचीन जैन ग्रंथ 'उत्तर पुराण' में तीर्थंकरों का वर्णन मिलता है। जैन मान्यतानुसार प्रत्येक तीर्थंकर के जन्म से छ: माह पूर्व से ऐसी रत्नवर्षा आरंभ हो जाती थी, जो उनके जन्मस्थल की सात पीढ़ियों तक संपन्न हो जाती थीं। जब महारानी त्रिशला भी नगर में हो रही अद्‍भुत रत्नवर्षा के बारे में सोच रही थीं। यह सोचते-सोचते वे ही गहरी नींद में सो गई। उसी रात्रि को अंतिम प्रहर में महारानी ने आषाढ़ शुक्ल षष्ठी के दिन सोलह शुभ मंगलकारी स्वप्न देखे। स्वन्न में सफेद हाथी, सफेद बैल, सफेद सिंह, कमल पर विराजमान लक्ष्मी के अभिषेक करते हुए दो हाथी, दो सुगंधित पुष्पमालाएं, पूर्ण चन्द्रमा, उदय होता सूर्य, कमल पत्रों से ढंके हुए दो स्वर्ण कलश, कमल सरोवर में क्रीड़ा करती दो मछलियां, कमलों से भरा जलाशय, लहरें उछालता समुद्र, हीरे-मोती और रत्नजडि़त स्वर्ण सिंहासन, स्वर्ग का विमान, पृथ्वी को भेद कर निकलता नागों के राजा नागेन्द्र का विमान, रत्नों का ढेर और धुआंरहित अग्नि।
 
5.महावीर के 34 भव (जन्म) : 1.पुरुरवा भील, 2.पहले स्वर्ग में देव, 3.भरत पुत्र मरीच, 4.पांचवें स्वर्ग में देव, 5.जटिल ब्राह्मण, 6.पहले स्वर्ग में देव, 7.पुष्यमित्र ब्राह्मण, 8.पहले स्वर्ग में देव, 9.अग्निसम ब्राह्मण, 10.तीसरे स्वर्ग में देव, 11.अग्निमित्र ब्राह्मण, 12.चौथे स्वर्ग में देव, 13.भारद्वाज ब्राह्मण, 14.चौथे स्वर्ग में देव, 15. मनुष्य (नरकनिगोदआदि भव), 16.स्थावर ब्राह्मण, 17.चौथे स्वर्ग में देव, 18.विश्वनंदी, 19.दसवें स्वर्ग में देव, 20.त्रिपृष्‍ठ नारायण, 21.सातवें नरक में, 22.सिंह, 23.पहले नरक में, 24.सिंह, 25.पहले स्वर्ग में, 26.कनकोज्जबल विद्याधर, 27.सातवें स्वर्ग में, 28.हरिषेण राजा, 29.दसवें स्वर्ग में, 30.चक्रवर्ती प्रियमित्र, 31.बारहवें स्वर्ग में, 32.राजा नंद, 33.सोलहवें स्वर्ग में, 34.तीर्थंकर महावीर।
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

हिन्दू नववर्ष को किस राज्य में क्या कहते हैं, जानिए इसे मनाने के भिन्न भिन्न तरीके

कब मनेगी ईद 31 मार्च या 1 अप्रैल, जानिए सही तारीख

नवरात्रि की प्रथम देवी मां शैलपुत्री की कथा

चैत्र नवरात्रि 2025 पर अपनों को शेयर करें ये विशेस और कोट्स, मां दुर्गा के आशीर्वाद से जीवन होगा मंगलमय

गुड़ी पड़वा विशेष: गुड़ी पर क्यों चढ़ाते हैं गाठी/पतासे का हार, जानिए इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

सभी देखें

धर्म संसार

इस्लाम में अलविदा जुमे की अहमियत

Aaj Ka Rashifal: 12 राशियों का दैनिक राशिफल, जानें कैसा बीतेगा 28 मार्च का दिन

28 मार्च 2025 : आपका जन्मदिन

28 मार्च 2025, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

अगला लेख