मुनि विद्यासागर जी का जन्मदिन : 10 विशेष बातें

Webdunia
1. शरद पूर्णिमा के दिन आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज (Acharya shri Vidyasagar ji Maharaj) का जन्मदिवस मनाया जाता है। मुनि विद्यासागर जी एक प्रख्यात दिगंबर जैन आचार्य हैं। वे जैन धर्म के तपस्वी, अहिंसा, करुणा, दया के प्रणेता और प्रखर कवि सं‍त शिरोमणि हैं। 
 
2. प्रतिवर्ष आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज का जन्मदिन आश्विन शुक्ल पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। उनका जन्म 10 अक्टूबर 1946 को बेलगांव जिले के गांव चिक्कोड़ी में शरद पूर्णिमा के दिन हुआ तथा नाम विद्याधर रखा गया। 
 
3. उनकी माता आर्यिकाश्री समयमति जी और पिता मुनिश्री मल्लिसागर जी दोनों ही बहुत धार्मिक थे। विद्यासागर जी का घर का नाम पीलू था। 
 
4. उन्होंने कक्षा नौवीं तक कन्नड़ भाषा में शिक्षा ग्रहण की और 9 वर्ष की उम्र में ही वे धर्म की ओर आकर्षित हो गए और उसी समय आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का संकल्प कर लिया। उन दिनों विद्यासागर जी आचार्यश्री शांतिसागर जी महाराज के प्रवचन सुनते रहते थे। 
 
5. इसी प्रकार धर्म ज्ञान की प्राप्ति करके, धर्म के रास्ते पर अपने चरण बढ़ाते हुए मुनिश्री ने मात्र 22 वर्ष की उम्र में अजमेर (राजस्थान) में 30 जून 1968 को आचार्यश्री ज्ञानसागरजी महाराज के शिष्यत्व में मुनि दीक्षा ग्रहण की। 
 
6. विद्यासागर जी महाराज जी अन्य कई भाषाओं पर अपनी पकड़ रखते हैं तथा कन्नड़ भाषा में शिक्षण ग्रहण करने के बाद भी अंग्रेजी, हिन्दी, संस्कृत, कन्नड़ और बंगला भाषाओं का ज्ञान अर्जित करके उन्होंने उन्हीं भाषाओं में लेखन कार्य भी किया हैं। आचार्यश्री हिन्दी, अंग्रेजी आदि 8 भाषाओं के ज्ञाता हैं। विद्यासागर जी का 'मूकमाटी' महाकाव्य सर्वाधिक चर्चित है। 
 
7. आज कई गौशालाएं, स्वाध्याय शालाएं, औषधालय, आदि विद्यासागर महाराज जी की प्रेरणा और आशीर्वाद से स्थापित किए गए हैं तथा कई जगहों पर निर्माण कार्य जारी है। 
 
8. आचार्यश्री द्वारा पशु मांस निर्यात के विरोध में जनजागरण अभियान भी चल रहा हैं तथा अमरकंटक में 'सर्वोदय तीर्थ' नाम से एक विकलांग नि:शुल्क सहायता भी केंद्र चल रहा है। 
 
9. विद्यासागर जी ने पशुधन बचाने, गाय को राष्ट्रीय प्राणी घोषित करने, मांस निर्यात बंद करने को लेकर अनेक उल्लेखनीय कार्य किए हैं। 
 
10. आचार्यश्री विद्यासागर जी दिगंबर सरोवर के राजहंस हैं। उनका मन जल की तरह निर्मल है तथा हमेशा प्रसन्न और मुस्कराते रहना उनकी खासियत हैं। सन्मार्ग प्रदर्शक, धर्म प्रभावक आचार्यश्री में अपने शिष्यों का संवर्द्धन करने का अभूतपूर्व सामर्थ्य है। वे ज्ञानी और सुकोमल छवि वाले होने के कारण उनके चुम्बकीय व्यक्तित्व ने सभी के मन में अध्यात्म की ज्योत जला दी है। 
 
वे मानव जाति के ऐसे प्रकाश पुंज हैं, जो धर्म की प्रेरणा देकर जीवन के अंधेरे को दूर करके मोक्ष का मार्ग दिखाने का महान कार्य करते हैं। शरद पूर्णिमा पर उनके जन्मदिन पर मुनिश्री को शत-शत नमन्!

ALSO READ: शरद पूर्णिमा पर करें ये 5 उपाय, गरीबी हो जाएगी दूर

सम्बंधित जानकारी

Show comments

क्या कर्मों का फल इसी जन्म में मिलता है या अगले जन्म में?

वैशाख अमावस्या का पौराणिक महत्व क्या है?

शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि में होंगे वक्री, इन राशियों की चमक जाएगी किस्मत

Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया से शुरू होंगे इन 4 राशियों के शुभ दिन, चमक जाएगा भाग्य

Lok Sabha Elections 2024: चुनाव में वोट देकर सुधारें अपने ग्रह नक्षत्रों को, जानें मतदान देने का तरीका

धरती पर कब आएगा सौर तूफान, हो सकते हैं 10 बड़े भयानक नुकसान

घर के पूजा घर में सुबह और शाम को कितने बजे तक दीया जलाना चाहिए?

Astrology : एक पर एक पैर चढ़ा कर बैठना चाहिए या नहीं?

100 साल के बाद शश और गजकेसरी योग, 3 राशियों के लिए राजयोग की शुरुआत

Varuthini ekadashi 2024: वरुथिनी व्रत का क्या होता है अर्थ और क्या है महत्व

अगला लेख