जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्‍ण को 8 वक्त क्यों लगाएं भोग, जानिए रहस्य

WD Feature Desk
मंगलवार, 12 अगस्त 2025 (16:45 IST)
Eight time worship of Krishna: इस बार भगवान श्रीकृष्ण का 5252वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। उदयातिथि के अनुसार कृष्‍ण जन्माष्टमी इस बार 16 अगस्त 2025 शनिवार को मनाई जाएगी। हालांकि स्मार्त मत वाले 15 अगस्त और वैष्णव मत वाले 16 अगस्त को यह पर्व मनाएंगे। भगवान श्रीकृष्‍ण का जन्म हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद की अष्टमी तिथि की अर्धरात्रि को रोहिणी नक्ष‍त्र और जयंती योग में हुआ था। इसलिए प्रचलन से घर या मंदिर में उनकी पूजा अर्धरात्रि को निशीथ काल में की जाती है। इस दिन के दौरान मथुरा और वृंदावन के मंदिरों में उन्हें 8 समय भोग लगाया जाता है, ऐसा क्यों? 
 
आठ वक्त खाते हैं भगवान खाना इसलिए लगाते हैं उन्हें 8 बार भोग:
श्रीकृष्ण के जीवन में 8 अंक का बहुत महत्व था। वे श्री विष्णु के 8वें अवतार के रूप में 8वें मनु वैवस्वत के मन्वंतर के 28वें द्वापर में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की रात्रि के 7 मुहूर्त निकल गए और 8वां उपस्थित हुआ तभी आधी रात के समय सबसे शुभ लग्न में उन्होंने जन्म लिया। उस लग्न पर केवल शुभ ग्रहों की दृष्टि थी। तब रोहिणी नक्षत्र तथा अष्टमी तिथि के संयोग से जयंती नामक योग में उनका जन्म हुआ था। ज्योतिषियों के अनुसार रात 12 बजे उस वक्त शून्य काल था।
 
कहते हैं कि अष्टमी को जन्में भगवान श्रीकृष्ण की 8 पत्नियां थीं। भगवान श्रीकृष्ण वसुदेव के आठवें पुत्र थे। वे 8 वक्त भोजन करते थे इसलिए उन्हें 8 समय भोग लगाते हैं। मथुरा और वृंदावन के कुछ मंदिरों में भगवान श्रीकृष्‍ण की अष्‍ट प्रहर पूजा होती है, जिसे अष्टयाम सेवा भी कहा जाता है। वैष्णव मंदिरों में कृष्ण की 24 घंटे की सेवा-पूजा की एक विशिष्ट विधि है, जिसे आठ प्रहरों में विभाजित किया जाता है। हर प्रहर में अलग-अलग प्रकार की पूजा और भोग का विधान है, जिसका उद्देश्य श्री कृष्ण को सुख और आनंद पहुंचाना है। 
 
अष्ट सेवा प्रहर में आठ प्रकार के भोजन-
भोग: भगवान श्रीकृष्ण को साग, कढ़ी और पूरी के अलावा प्रमुख रूप से 8 भोजन प्रिय है- 1.खीर, 2.सूजी का हलुआ या लड्डू, 3.सिवइयां, 4.पूरनपोळी, 5.मालपुआ 6.केसर भात, 7.केले सहित सभी मीठे फल और 8.कलाकंद।
प्रसाद : श्रीकृष्ण के उपरोक्त भोग के अलावा उन्हें 1.माखन-मिश्री, 2.पंचामृत, 3.नारियल, 4.सुखे मेवे और 5.धनिया पिंजरी का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
 
अष्टयाम सेवा के आठ प्रहर:
1. मंगला: सुबह का पहला प्रहर, जब भगवान को जगाया जाता है और श्रृंगार किया जाता है।
2. श्रृंगार: भगवान को सुंदर वस्त्र और आभूषण पहनाए जाते हैं।
3. ग्वाल: भगवान को गायों के साथ खेलने के लिए ले जाया जाता है।
4. राजभोग: भगवान को स्वादिष्ट भोजन का भोग लगाया जाता है।
5. उत्थापन: भगवान को विश्राम के लिए ले जाया जाता है।
6. भोग: भगवान को फिर से भोजन का भोग लगाया जाता है।
7. संध्या:आरती: शाम को आरती की जाती है।
8. शयन: रात को भगवान को शयन के लिए ले जाया जाता है। 

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