हनुमान जी क्यों नहीं लाए माता सीता को.....जानिए कारण

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पवनपुत्र हनुमानजी भगवान शिव के ग्यारहवें अवतार के रूप में सर्वत्र पूजनीय हैं। वे बल और बुद्धि के देवता हैं। कई हनुमान मंदिरों में उनकी मूर्ति को पर्वत उठाए तथा राक्षस का मान मर्दन करते हुए दिखाया जाता है, लेकिन प्रभु श्रीराम के मंदिरों में वे राम के चरणों में मस्तक झुकाए बैठे हैं। 



 
भगवान शिव भी प्रभु श्रीराम का स्मरण करते हैं इसलिए उनके अवतार हनुमान को भी राम नाम अधिक प्रिय है। कोई भी रामकथा हनुमानजी के बिना पूरी नहीं होती। 

एक प्रसंग के अनुसार- एक बार वे माता अंजनी को रामायण सुना रहे थे। उनकी कथा से प्रभावित होकर माता अंजनी ने उनसे पूछा- तुम इतने शक्तिशाली हो कि तुम पूंछ के एक वार से पूरी लंका को उड़ा सकते थे, रावण को मार सकते थे और मां सीता को छुड़ा कर ला सकते थे फिर तुमने ऐसा क्यों नहीं किया? अगर तुम ऐसा करते तो युद्ध में नष्ट हुआ समय बच जाता? 



 
इस पर हनुमानजी विनम्रता के साथ माता अंजनी को कहते हैं- क्योंकि प्रभु श्रीराम ने कभी मुझे ऐसा करने के लिए नहीं कहा था। मैं उतना ही करता हूं मां, जितना मुझे प्रभु श्रीराम कहते हैं और वे जानते हैं कि मुझे क्या करना है। इसलिए मैं अपनी मर्यादा का उल्लंघन नहीं करता और वही करता हूं जितना मुझे बताया गया है। 
 
प्रभु श्रीराम के प्रति उनके इस अगाध प्रेम और श्रद्धा के कारण ही हनुमानजी पूरे संसार में पूजे जाते हैं। अगर कोई भी परेशान हनुमान भक्त हनुमान जयंती, मंगलवार तथा शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का सात बार पाठ करें, तो उनके कष्टों का निवारण होता है। ऐसा माना जाता है। 




 
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