फनी बाल कविता : चींटी बोली

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
चींटी बोली चलो कहीं से,
च‌ना खरीदें भाई।
अब तो सहन नहीं होता है,
भूख मुझे लग आई।

चींटा बोला शक्कर-गुड़ की,
गंध मुझे है आती।
इतना मीठा माल रखा,
तू खाने क्यों न जाती।

बोली चींटी अरे भाईजी,
गुड़ से डर है लग‌ता।
जो भी उसके गया पास‌ तो,
जाकर वहीं चिपकता।
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