बाल कविता : ईमान बचा लाया हूं...

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
सौ का नोट दिया था मां ने,
बेटा कहीं गुमा आया था। 
मां डांटेगी यही सोचकर,
डरते-डरते घर आया था। 


 
मां ने सच में ही डांटा था,
रुपए बहुत परिश्रम के थे। 
औरों को केवल सौ होंगे,
उसे लाख से कम के ना थे। 
 
बोली थी-बर्तन मांजे थे,
झाड़ू पोंछा कर आए थे। 
उसके एवज में ही बेटे,
मुश्किल से रुपए पाए थे। 
 
बेटा बोला-रुपए गए हैं,
पर ईमान बचा लाया हूं। 
बीच सड़क पर पड़े पांच सौ,
नोट छोड़कर मैं आया हूं। 
 
धन खोने से सच में ही मां,
होता तो नुकसान बहुत है। 
पर ईमान बचा रखने से,
होता जग में सबका हित है। 


ऐसी और खबरें तुरंत पाने के लिए वेबदुनिया को फेसबुक https://www.facebook.com/webduniahindi पर लाइक और 
ट्विटर https://twitter.com/WebduniaHindi पर फॉलो करें। 
Show comments

गर्भवती महिलाओं को क्यों नहीं खाना चाहिए बैंगन? जानिए क्या कहता है आयुर्वेद

हल्दी वाला दूध या इसका पानी, क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?

ज़रा में फूल जाती है सांस? डाइट में शामिल ये 5 हेल्दी फूड

गर्मियों में तरबूज या खरबूजा क्या खाना है ज्यादा फायदेमंद?

पीरियड्स से 1 हफ्ते पहले डाइट में शामिल करें ये हेल्दी फूड, मुश्किल दिनों से मिलेगी राहत

Metamorphosis: फ्रांत्स काफ़्का पूरा नाम है, लेकिन मुझे काफ़्का ही पूरा लगता है.

21 मई : राजीव गांधी की पुण्यतिथि, जानें रोचक तथ्य

अपनी मैरिड लाइफ को बेहतर बनाने के लिए रोज करें ये 5 योगासन

क्या है Male Pattern Baldness? कहीं आप तो नहीं हो रहे इसके शिकार

प्राइमरी टीचिंग में करियर बनाएं