बाल कविता : रिक्शा चालक

Webdunia
- रवि श्रीवास्तव
 

 
पता नहीं क्यों लोग मुझे,
घृणा की नजर से देखते हैं
 
गाली की बौछार के साथ
हम पर हाथ सेंकते हैं
 
ताने सबके मुझको सुनना
पुलिस का भी डंडा सहना
 
जिसको देखो देता धक्का
बोलने पर मिलता है मुक्का
 
बिना भेद-भाव के सैर कराता
सबको मंजिल तक पहुंचाता
 
सड़क पर चलना मुश्किल मेरा
कहा जाएं अब लेकर डेरा
 
दिन भर करता मेहनत पूरी
तब जाकर मिलती मजदूरी
 
आखिर मेरा क्या है कसूर
आदमी हूं इतना मजबूर
 
इतना सब सह करके
परिवार का पेट पालता हूं
 
इस बेरहम दुनिया में
रिक्शा चालक कहलाता हूं। 
 
Show comments

गर्भवती महिलाओं को क्यों नहीं खाना चाहिए बैंगन? जानिए क्या कहता है आयुर्वेद

हल्दी वाला दूध या इसका पानी, क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?

ज़रा में फूल जाती है सांस? डाइट में शामिल ये 5 हेल्दी फूड

गर्मियों में तरबूज या खरबूजा क्या खाना है ज्यादा फायदेमंद?

पीरियड्स से 1 हफ्ते पहले डाइट में शामिल करें ये हेल्दी फूड, मुश्किल दिनों से मिलेगी राहत

मेडिटेशन करते समय भटकता है ध्यान? इन 9 टिप्स की मदद से करें फोकस

इन 5 Exercise Myths को जॉन अब्राहम भी मानते हैं गलत

क्या आपका बच्चा भी हकलाता है? तो ट्राई करें ये 7 टिप्स

जर्मन मीडिया को भारतीय मुसलमान प्रिय हैं, जर्मन मुसलमान अप्रिय

Metamorphosis: फ्रांत्स काफ़्का पूरा नाम है, लेकिन मुझे काफ़्का ही पूरा लगता है.