शहर कहाँ है

तुम्हारी कविता

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- वाराणसी वाले डॉ. श्रीप्रसाद

भोंदूमल ने मुझसे पूछा
शहर कहाँ है भादोमल
कहाँ पानपुर है, बतलाओ
मुझको जाना दुपहर कल
मुझे नहीं मालूम है भाई
दोनों है ये शहर कहाँ
मैंने नहीं शहर ये देखे
नहीं कभी भी गया वहाँ
अगर आगरा तुम जो जाओ
मैं सब बतला सकता हूँ
और कहो तो शहर आगरा
साथ-साथ जा सकता हूँ
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चंदा चाचा
चंदा चाचा फूल बने हैं
कमल खिला है भारी
धरती पर खिल रही चाँदनी
पानी जैसी प्यारी
तारे घूम रहे हैं मिलकर
आते हैं, जाते हैं
कुछ तारे बस एक जगह ही
बैठे मुसकाते हैं
आसमान में यही देखने
छत पर आ जाता हूँ
चंदा चाचा को मैं जैसे
पास खड़े पाता हूँ
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