गणतंत्र दिवस पर बच्चों के लिए 5 सरल कविताएं

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26 जनवरी (26 January), गणतंत्र दिवस (gantantra diwas 2022) पर पढ़ें बच्चों के लिए 5 सरल कविताएं...

1. भारत मेरा देश
- अंशुमन दुबे (बाल कवि)
 
जहां ज्ञान का अथाह भंडार है,
लोगों में सतगुणों का अंबार है।
प्रकृति की कृपा जहां अपार है,
वो मेरा भारत देश निर्विकार है।
 
जहां रोम-रोम में बसता प्यार है,
जहां वीरों की भरमार है।
जहां प्रभु कृपा बेशुमार है,
इस देश के बहुत उपकार हैं।
 
भारत मां ने अन्न-पानी देकर हमें पाला-पोसा,
उस मां का है अपने वीर पुत्रों पर बड़ा भरोसा।
हे मां! हम तेरी खातिर अपना शीश कटाएंगे,
अपनी जान देकर भी हम तेरी लाज बचाएंगे।
 
जब मां मांग रही थी आहुति स्वतंत्रता की ज्वाला में,
हमने शीश पिरो दिए आजादी की जयमाला में।
जब उठी आवाज पूरे हिन्दुस्तान की,
रोक न पाई इसे ताकत इंग्लिस्तान की।
 
यह है अमर गाथा,
हमारे देश महान की।
बलिदान देकर भी रक्षा करेंगे,
अपने हिन्दुस्तान की।
 
हमें अपनी जान से बढ़कर,
है अपना यह वतन प्यारा।
हम सीना तानकर कहते हैं,
सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा।
 
2. देश की माटी का तिलक
- शंभू नाथ 
 
मैं भारतमाता का पुत्र प्रतापी,
सीमा की रक्षा करता हूं।
 
जो आ के टकराता है,
अहं चूर भी करता हूं।
 
दुश्मन की कोई भी,
दाल न गलती।
लड़कर दूर भगाता हूं,
अपने भारत के वीर गीत को,
हर मौके पर गाता हूं।
 
आतंकवादी अवसरवादी,
आने से टकराते हैं।
आ गए मेरी भूमि में,
तहस-नहस हो जाते हैं।
 
अपने देश की माटी का,
माथे पर तिलक लगाता हूं।
 
3. सत्य और अहिंसा का मंत्र
 
- ठाकुरदास कुल्हारा
 
सत्य और अहिंसा का, देता जो मंत्र है
हर्षोल्लास भरा, दिवस गणतंत्र है।
 
आबाल वृद्ध, नर नारी के, ह्रदय में
देश प्रेम, प्रसारता, हमारा गणतंत्र है।
 
सेवा, समर्पण और, त्याग भरी भावना
तन मन, धन वारना, सिखाता गणतंत्र है।
 
नफरत बुराई बैर आदि को मेटता
जन मन में, प्यार को, बढ़ाता गणतंत्र है।
 
जाति मजहब के, भेद कोई, पाले नहीं
मानवता धर्म, सिखलाता गणतंत्र है।
 
मानवीय, मूल्यों का, दुनिया में सर्वश्रेष्ठ
संदेश, विश्व शांति का, देता गणतंत्र है।
 
सुख दुख के, साथी बन, भाईचारा पालें
समरसता पाठ, हमें, पढ़ाता गणतंत्र है।
 
सर्वजन हिताय है, सर्वजन सुखाय
प्रगति पथ पर अग्रसर, हमारा गणतंत्र है।
 
4. हम भारत के प्यारे बच्चे 
शंभू नाथ 
 
हम भारत देश के, प्यारे बच्चे।
सारे जग से, न्यारे बच्चे।
 
ज्ञान का सागर, लहराता है।
जब अंबर, मुस्काता है।
 
सब कहते हैं, मुझको अच्छे।
हम कर्तव्यनिष्ठा के, सच्चे बच्चे।
 
देव बेला में, उठ जाते हैं।
नित्य क्रिया से, फुरसत होके।
पढ़ने पर ध्यान, लगाते हैं।
 
सबको करते हम, सदा नमस्ते।
हम भारत देश के, प्यारे बच्चे।
सारे जग से, न्यारे बच्चे।
 
5. जन-गण-मन गीत गाएं
- संजय वर्मा 'दृष्टि'
 
आओ सब मिलके 
जन-गण-मन गीत गाएं
स्वतंत्रता की खुशियों को 
मिल-जुलकर मनाएं।
 
राष्ट्रीय त्योहारों पर
तिरंगे को लहराएं 
आओ सब मिलके 
जन-गण-मन गीत गाएं।
 
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई 
आपस में हम सब भाई-भाई 
भारतमाता है 
हम सबकी माई। 
 
फख्र से हम सब 
सर ऊपर उठाएं 
आओ सब मिलके
जन-गण-मन गीत गाएं।
 
शहीदों को पुष्प चढ़ाएं 
उनके सम्मुख शीश नवाएं 
दिलाई हमें अंग्रेजों से आजादी
दुनिया को हम ये बताएं। 
आओ सब मिलके 
जन-गण-मन गीत गाएं।
 
देश के सीमा प्रहरी बन जाएं 
देश की रक्षा का दायित्व निभाएं 
युवा पीढ़ी को ये मूल मंत्र समझाएं 
आओ सब मिलके 
जन-गण-मन गीत गाएं।

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