मजेदार बाल कविता : ऑनलाइन परचेस

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू लिखकर,
डॉट चिह्न लिखवाया। 
फिर रसगुल्ला डॉट कॉम लिख,
गूगल सर्च दबाया। 


 
एक कटोरा लेकर बाहर,
हाथ निकलकर आया। 
लो दादाजी यह रसगुल्ले,
कम्प्यूटर चिल्लाया। 
 
डरते-डरते दादाजी ने,
आगे हाथ बढ़ाए। 
कम्प्यूटर बोला दादाजी,
कितने पैसे लाए। 
 
सौ का नोट निकालो झटपट,
रसगुल्ले ले जाओ।
अगर जेब खाली है आगे,
तब न हाथ बढ़ाओ। 
 
ऑनलाइन परचेस हमें यूं,
सारी सुविधा देता। 
माल हमें तब ही देता जब,
पूरे पैसे लेता। 
 
नहीं उधारी मिल पाती है,
मोल-भाव न होता। 
लाइन परचेस कभी भी,
दे सकता है धोखा। 
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