बच्चों की मनोरंजक कविता : बचपन नाचे

Webdunia
- डॉ. रामनिवास मानव
 
बहो कि जैसे बहती धारा।
मगर न टूटे कभी किनारा।।
 
बढ़ते जाओ, कहता पानी।
दुनिया सारी आनी-जानी।।
 
हरदम पक्षी बनकर चहको।
फूलों सा मुस्काओ, महको।।
 
हो साकार सभी का सपना।
इन्द्रधनुष हो जीवन अपना।।
 
तितली बनकर बचपन नाचे।
और तोतली कविता बांचे।।
 
वैर-भाव सब पीछे छूटें।
सदा प्रेम के अंकुर फूटें।।
 
साभार- देवपुत्र
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

इन कारणों से 40 पास की महिलाओं को वेट लॉस में होती है परेशानी

लू लगने पर ये फल खाने से रिकवरी होती है फास्ट, मिलती है राहत

खुद की तलाश में प्लान करें एक शानदार सोलो ट्रिप, ये जगहें रहेंगी शानदार

5 हजार वर्ष तक जिंदा रहने का नुस्खा, जानकर चौंक जाएंगे Video

योग के अनुसार प्राणायाम करने के क्या हैं 6 चमत्कारी फायदे, आप भी 5 मिनट रोज करें

सभी देखें

नवीनतम

ये 10 प्रेरक कोट्‍स बढ़ाएंगे मलेरिया के प्रति जागरूकता

विश्व मलेरिया जागरूकता दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

नन्ही परी के लिए चुनिए 'स' अक्षर से शुरू सुंदर नाम, हर कोई जानना चाहेगा अर्थ

काव्य गीत : विदा

भारत के जल युद्ध से अब पाकिस्तान में तबाही का खौफ़

अगला लेख