बाल कविता : खेल

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
नहीं-नहीं रे आज नहीं रे,
चलें खेलने नहीं कहीं रे।


 
मेरे सिर में दर्द हो रहा,
कैसे चेहरा जर्द हो गया।
 
मुझे वैद्य के घर जाना है,
कोई दवा अच्छी लाना है।
 
स्वस्थ यदि कल हो जाऊंगा,
तभी खेलने चल पाऊंगा।
Show comments

गर्मियों की छुट्टियों में बच्चों के साथ जा रहे हैं घूमनें तो इन 6 बातों का रखें ध्यान

गर्मियों में पीरियड्स के दौरान इन 5 हाइजीन टिप्स का रखें ध्यान

मेंटल हेल्थ को भी प्रभावित करती है आयरन की कमी, जानें इसके लक्षण

सिर्फ 10 रुपए में हटाएं आंखों के नीचे से डार्क सर्कल, जानें 5 आसान टिप्स

कच्चे आम का खट्टापन सेहत के लिए है बहुत फायदेमंद, जानें 10 फायदे

मंगल ग्रह पर जीवन रहे होने के कई संकेत मिले

महिलाओं को पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करते वक्त नहीं करना चाहिए ये 10 गलतियां

Guru Tegh Bahadur: गुरु तेग बहादुर सिंह की जयंती, जानें उनका जीवन और 10 प्रेरक विचार

मातृ दिवस पर कविता : जीवन के फूलों में खुशबू का वास है 'मां'

गर्मियों की छुट्टियों में बच्चों के साथ जा रहे हैं घूमनें तो इन 6 बातों का रखें ध्यान