बालगीत : सभी पेश आते इज्जत से...

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
बंदर मामा पहन पजामा,
अब न जाते हैं स्कूल।


 
करते रहे अब तलक थे वे,
यूं ही व्यर्थ भूल पर भूल।
 
खिसका कभी कमर से था तो,
कभी फटा नादानी में।
फटे पजामे के कारण ही, 
मिली आबरू पानी में।
 
फटे पजामे के कारण ही, 
हंसी हुई थी शाला में।
हुई बंदरिया से गुस्ताखी, 
इस कारण वरमाला में।
 
अब तो मामा जींस पहनकर, 
टाई लगाकर जाते हैं।
जींस बहुत मजबूत जानकर,
इतराते-मस्ताते हैं।
 
तोड़ दिया संबंध आजकल, 
पूरी तरह पजामा से।
सभी पेश इज्जत से आते,
अब तो बंदर मामा से। 
 
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