मजेदार कविता : बेगानी तितली...

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
तितली रानी, रानी तितली,
है जानी-पहचानी तितली।


 
पंख चलाकर आ जाती है,
हमें छककर उड़ जाती है।
 
मेरी छोटी-सी बगिया की,
छोटी-सी महारानी तितली।
 
कहां-कहां रस पीकर आई,
कितने फूलों से मिल आई।
 
नहीं पता है फिर भी लगती,
जैसे भोर सुहानी तितली।
 
पीली-नीली-लाल-गुलाबी,
सब में भरी हुई है चाबी।
 
हाथ लगाने से पहले ही,
उड़ी हुई बेगानी तितली।
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