चटपटी कविता : सब्र...

अंशुमन दुबे (बाल कवि)
एक दिन में सागर निर्माण नहीं होता,
बूंद-बूंद करके ही नदी बनती है।


 
समय सदा गतिशील है,
पल-पल करके ही एक सदी बनती है।
 
सब्र का अर्थ नहीं, हारकर बैठ जाना,
सब्र का अर्थ है हिम्मत से खड़े होकर दिखाना।
सब्र है अडिग आस्था उस परिवेश में,
जहां शत्रु सामने आए मित्र के वेष में।
 
सब्र है अटल उम्मीद इंसान की,
सब्र से अभ्यास है तपस्या विद्वान की।
सब्र है अचल भक्ति भगवान की,
सब्र की राह पर चलो छोड़ राह अज्ञान की।
 
साभार- छोटी-सी उमर (कविता संग्रह) 

 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

सर्दियों में बहुत गुणकारी है इन हरे पत्तों की चटनी, सेहत को मिलेंगे बेजोड़ फायदे

2024 में ऑनलाइन डेटिंग का जलवा : जानें कौन से ऐप्स और ट्रेंड्स रहे हिट

ये थे साल 2024 के फेमस डेटिंग टर्म्स : जानिए किस तरह बदली रिश्तों की परिभाषा

सर्दियों में इन 4 अंगों पर लगाएं घी, सेहत को मिलेंगे गजब के फायदे

सर्दियों में पानी में उबालकर पिएं ये एक चीज, सेहत के लिए है वरदान

सभी देखें

नवीनतम

Guru ghasidas: गुरु घासीदास के बारे में 5 खास बातें

Year Ender 2024: ये 5 योगासन बने फिटनेस मन्त्र, पाचन और वेट लॉस में मिले शानदार लाभ

नेचुरल इम्युनिटी या वैक्सीन: सर्दियों में बच्चों की सेहत के लिए क्या है बेस्ट

बच्चे की दूध की बोतल साफ करने में ना करना ये गलतियां, जानिए बच्चे की सेहत के लिए जरूरी टिप्स

सांता, स्नोफ्लेक और ग्लिटर : जानिए कौन से क्रिसमस नेल आर्ट आइडियाज हैं इस साल ट्रेंड में