बाल गीत : सिक्के बरसाना...

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
बादल भैया ता-ता थैया,
बादल भैया ता-ता थैया।


 
पानी के संग बरसा देना, 
कम से कम दस-पांच रुपैया।
 
नोट नहीं सिक्के बरसाना,
एक नहीं कई बार गिराना।
 
तीस रुपए में हो जाएगा,
चॉकलेट का ठौर-ठिकाना।
 
चॉकलेट की दम पर ही तो,
खेल सकेंगे चोर-सिपहिया।
 
कान खोलकर बिनती सुन लो,
सिक्कों की बौछारें कर दो।
 
हम सब बालक शरण तुम्हारी,
आज हमारी झोली भर दो।
 
उन पैसों से ले आएंगे,
चना-कुरकुरा गुड़ की लैया।
 
अगर नहीं सिक्के बरसाए,
भागे सिक्के बिना गिराए।
 
तो चंदा-तारों से कहकर,
तुमको घूंसे सौ लगवाए।
 
घूंसे खाकर हाल तुम्हारा,
कैसा होगा बादल भैया। 

 
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