दिवाली कविता : तुम भी दीप जलाओ

Webdunia
- राजा चौरसिया


 
यह उत्सव उजियारे का है
झूमो, नाचो, गाओ,
नन्हे हो तो नन्हे-नन्हे
तुम भी दीप जलाओ।
 
कितनी प्यारी हैं फुल‍झड़ियां
बल्बों की सतरंगी लड़ियां,
अपने आंगन में अनार से
आज फूल बरसाओ।
 
गांव, शहर सब जगर-मगर हैं
हंसी-खुशी के गूंजे स्वर हैं,
खूब चलाओ रॉकेट-चकरी
तुम बम नहीं चलाओ।
 
अंधियारे की ‍हुई विदाई
मिले बधाई और मिठाई,
नहीं बिसरने पाए ऐसी
दीपावली मनाओ।

साभार- देवपुत्र 
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