दीप पर्व पर कविता : आई दिवाली है...

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- डॉ. रोहिताश्व अस्थाना


 

 
लो दीये जलाओ गली-गली
आई दिवाली है।
लगती है सबको भली-भली
आई दिवाली है।।
 
बाजार सजी लक्ष्मी-गणेश-
खीलों फुलझड़ियों से।
कन्दीलें देखो जली-जली
आई दिवाली है।।
 
हर ओर रोशनी का मेला-
है धूम पटाखों की।
अंधियारे की छबि ढली-ढली
आई दिवाली है।।
 
खिल उठी मिठाई खील-खिलौने-
खाकर खुशियों से
बच्चों के दिल की कली-कली
आई दिवाली है।।
 
साभार- देवपुत्र 
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