दीपावली विशेष कविता : तम का शासन होवे नत

Webdunia
- दुलीचंद जैन 'साहित्यरत्न' 


 
मुकुलित विकसित पुष्पों-सा
प्रमुदित सबका जीवन हो
बालारूण1 सी आभा से
पूरित सबके मानस हो।
 
सबकी वाणी में गूंजें
निशि दिन चेतनता के स्वर
चिंताओं से धूमाकुल2 
होवे ना कोई अंतर।
 
उत्साह, शौर्य, कर्मठता के
भाव हृदय में आए
तप और त्याग की सौरभ
से उर कलिका3 भर जाए। 
 
आशा के दीपक से हो
आलोकित जीवन का पथ
जग में फैलाए प्रकाश
तम4 का शासन होवे नत।
 
1. बालारूण- सुबह का सूरज, 2. धूमाकुल- धुएं से परेशान, 3. उर कलिकाएं- मन की कली, 4. तम- अंधेरा।

साभार- देवपुत्र
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

सावन माह में क्या खाएं और क्या नहीं?

वेट लॉस में बहुत इफेक्टिव है पिरामिड वॉक, जानिए चौंकाने वाले फायदे और इसे करने का तरीका

सावन में रचाएं भोलेनाथ की भक्ति से भरी ये खास और सुंदर मेहंदी डिजाइंस, देखकर हर कोई करेगा तारीफ

ऑफिस में नींद आ रही है? जानिए वो 5 जबरदस्त ट्रिक्स जो झटपट बना देंगी आपको अलर्ट और एक्टिव

सुबह उठते ही सीने में महसूस होता है भारीपन? जानिए कहीं हार्ट तो नहीं कर रहा सावधान

सभी देखें

नवीनतम

फाइबर से भरपूर ये 5 ब्रेकफास्ट ऑप्शंस जरूर करें ट्राई, जानिए फायदे

सावन में नॉनवेज छोड़ने से शरीर में आते हैं ये बदलाव, जानिए सेहत को मिलते हैं क्या फायदे

सावन में कढ़ी क्यों नहीं खाते? क्या है आयुर्वेदिक कारण? जानिए बेहतर विकल्प

हर किसी के लिए सुरक्षित नहीं होता आइस बाथ, ट्रेंड के पीछे भागकर ना करें ऐसी गलती

विश्व जनसंख्या दिवस 2025: जानिए इतिहास, महत्व और इस वर्ष की थीम

अगला लेख