kids poem : खेलकूद खाने-पीने को,
अब हम हैं आजाद।
हम बच्चे जिंदाबाद।
पिज़्ज़ा बर्गर चाउमिन का,
दही बड़ों का हल्ला।
यह सब देने में अब मम्मी,
नहीं झाड़ती पल्ला।
गर्मी की छुट्टी, सारा घर,
ऊधम से आबाद।
पना आम का, कच्ची कैरी,
और पुदीना चटनी।
गन्ने का रस पीकर देते,
लू को रोज पटकनी।
तन मन को ठंडा कर देता,
सत्तू का भी स्वाद।
दिन भर धमा चौकड़ी,
हाथी घोड़े वाले खेल।
इंजन, डिब्बा, गार्ड, मुसाफिर,
छुक-छुक करती रेल।
कैरम में जो जीता, करता,
खुशियों से सिंहनाद।
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